Dussehra Upay 2022: आज आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और बुधवार का दिन है। दशमी तिथि आज दोपहर 12 बजे तक रहेगी। आज का पूरा दिन पूरी रात पार कर अगली सुबह 5 बजकर 19 मिनट तक धृति योग रहेगा। धृति योग के दौरान रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है अर्थात किसी घर का शिलान्यास यदि इस योग में किया जाए तो इंसान उस घर में रहकर सब सुख-सुविधाएं प्राप्त करता है और आनंदमय जीवन व्यतीत करता है। साथ ही आज रात 9:14 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा। आकाश मंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से श्रवण 22वां नक्षत्र है. आज विजयदशमी है।
विजयदशमी साल की तीन सबसे शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो चैत्र शुक्ल और कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा हैं। आज के दिन अपराह्न के समय, यानी दोपहर बाद अपराजिता पूजन किया जाता है। साथ ही शमी पूजा करने का भी विधान है। आज के दिन खंजन पक्षी का दर्शन और अपने गांव की सीमा तक जाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ज्योतिष नियम के अनुसार अगर इस दिन श्रवण नक्षत्र हो तो विशेष शुभ होता है और संयोग से इस बार श्रवण नक्षत्र पड़ रहा है। इसका मतलब है कि इस बार दशहरे के दिन श्रवण नक्षत्र भी है। किसी कार्य में जीत के लिये, शांति के लिये इस नक्षत्र को बहुत शुभ माना जाता है।
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- आज का दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिये बहुत अच्छा है। कोई नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं या लेखनी का काम शुरू करना चाहते हैं, तो आज का दिन बहुत ही शुभ है। इस दिन सरस्वती देवी का पूजन करके बच्चों को अक्षरारम्भ करते हैं। छोटे बच्चों की माताओं को आज के दिन अपने बच्चों को वर्णमाला जरूर पढ़ानी चाहिए, चाहे जिस भाषा में पढ़ायें।
- आज के दिन अपराजिता की पूजा करनी चाहिए। इससे जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है और किसी भी काम में रुकावट नहीं आती। आज के दिन दोपहर बाद ईशान दिशा में जाकर शुद्ध, साफ भूमि पर गोबर से लीपकर चंदन से आठ कोने, यानी आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाना चाहिए और संकल्प करना चाहिए-“मम सकुटुम्बस्य क्षेम सिद्धयर्थ अपराजिता पूजनं करिष्ये” इस तरह संकल्प करके आकृति के बीच में अपराजिता देवी का आह्वान करना चाहिए
- उनके दाहिनी ओर जया और बायीं ओर विजया को प्रणाम करना चाहिए और कहना चाहिए- ‘अपराजितायै नमः’, ‘जयाय नमः’, ‘विजयाय नमः’। इस तरह मंत्र कहते हुए उनकी षोडशोपचार, यानी 16 उपचारों के साथ पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए- हे देवी, यथाशक्ति जो पूजा मैंने अपनी रक्षा के लिये की है, उसे स्वीकार कर आप अपने स्थान पर जा सकती हैं।
- इसके बाद गांव के बाहर उत्तर-पूर्व में शमी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। उसकी जड़ में लोटे से साफ जल चढ़ाना चाहिए और दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से साल भर यात्राओं में लाभ मिलता है, कोई बाधा नहीं आती। निर्णयसिन्धु और धर्मसिन्धु में शमी पूजन के बारे में विस्तार से दिया गया है। यदि शमी का वृक्ष न हो तो अश्मंतक वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। अश्मंतक के वृक्ष को कई भागों में अपाती के नाम से भी जाना जाता है।
- शमी के पौधे की पूजा के बाद गांव या शहर की सीमा तक जरूर जाना चाहिए- इससे जीवन में उत्साह बना रहता है। -कई मतों में विजयदशमी के दिन श्री राम और सीता की पूजा भी की जाती है। क्योंकि इसी दिन श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी।
- विजयदशमी के दिन धान की हरी, अनपकी बालियों को घर के द्वार पर टांगने तथा गेहूं की बालियों को घर के पुरुषों के कानों पर टांगने का या पगड़ी पर रखने का चलन है। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में पैसा आता है। आज विजयदशमी के दिन अपने काम से संबंधित यंत्रों और औजारों की पूजा भी करनी चाहिए, जरूरत पड़ने पर ये आपके काम आते हैं। आज के दिन अपने घर पर या फिर मंदिर में लाल पताका लगानी चाहिए। इससे आपकी जीत हमेशा कायम रहेगी।
- इसके अलावा आज, यानी विजयदशमी के दिन हनुमान जी को सुबह के समय गुड़ व चने और शाम के समय लड्डू का भोग लगाने से जीवन में सभी मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है और तरक्की का मार्ग अपने आप खुलता जाता है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7।30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)
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