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Durga Puja 2022: विजय दशमी पर बंगाली समाज आज भी निभाता है सदियों पुरानी ये रस्म

Sindoor Khela Ritual: पूरे देश में इन दिनों दुर्गा पूजा की तैयारी जोर शोर से चल रही है। वहीं बंगाली समाज में दुर्गा पूजा की कुछ रस्में ऐसी भी हैं जो सदियों से उसी श्रद्धा के साथ निभाई जा रही हैं।

Written By: Ritu Tripathi @ritu_vishwanath
Published on: September 18, 2022 10:34 IST
Durga Puja 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Durga Puja 2022

Highlights

  • जल्द ही शुरू होने वाली है दुर्गा पूजा
  • बंगाली समुदाय निभाता है सिंदूर खेला की रस्म
  • जानिए इस रस्म के पीछे क्या है मान्यता

Vijay Dashami 2022: पूरे देश में इन दिनों दुर्गा पूजा की तैयारी जोर शोर से चल रही है। पंडाल तैयार होने लगे हैं, मां दुर्गा की प्रतिमाएं भी अपने पूर्ण रूप में तैयार होने को हैं। शारदीय नवरात्र के मौके पर ही दुर्गा पूजा उत्सव मनाया जाता है। हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरू होती है। जिसके साथ ही बंगाली समाज के लोग मां दुर्गा की स्थापना करते हैं। बंगाली समाज में दुर्गा पूजा की कुछ रस्में ऐसी भी हैं जो सदियों से उसी श्रद्धा के साथ निभाई जा रही हैं।  आज हम आपको विजय दशमी पर निभाई जाने वाली ऐसी ही एक रस्म के बारे में बताने जा रहे हैं। 

सिंदूर खेला के संग मां की विदाई 

यह हम हम सभी जानते हैं कि नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-उपासना की जाती है और विजय दशमी यानी दशहरा के दिन उन्हें धूमधाम से विदा किया जाता है। इस समय में बंगाली काली पंडालों में सिंदूर की होली खेली जाती है। पश्चिम बंगाल, बंगाल और बांगलादेश आदि जगहों पर इस दौरान भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं।

क्या है सिंदूर खेला?

आपको बता दें कि सिंदूर खेला की शुरुआत तब होती है जब विजय दशमी के दिन मां की विदाई के पहले महिलाएं पान के पत्ते से मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं। मान्यता है कि जब मां दुर्गा अपने मायके से विदा होकर अपने ससुराल जाती हैं, तो उनकी मांग सिंदूर से भरी होती है। सिंदूर खेला रस्म के दौरान पान के पत्तों को मां दुर्गा के गालों पर स्पर्श कराया जाता है। फिर इस पत्ते से मां की मांग भरी जाती है और माथे पर सिंदूर लगाया जाता है। फिर मां को मीठे का भोग लगाकर एक बेटी की तरह उन्हें विदा किया जाता है। 

खूब होती है सिंदूर की होली 

इसके बाद महिलाएं लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनकर मां को विदा करते हुए सिंदूर की होली खेलती हैं। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा को चढ़े इस सिंदूर की होली खेलने से सौभाग्य और संपन्नता बनी रहती है। 

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