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Wishes for happiness and prosperity: छत्तीसगढ़ में है 800 साल पुरानी कुत्ते की समाधी, यहां खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामनाएं होती हैं पूरी

wishes for happiness and prosperity: छत्तीसगढ़ में स्वामीभक्त कुत्ते की समाधि है, हर साल लाखों श्रद्धालु खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। एक बेजुबान जानवर को उसकी वफादारी के लिए देवता का दर्जा मिला है और प्रदेश के मुखिया खुद इस गहरी लोक परम्परा के सम्मान में सिर नवाते हैं।

Reported By : IANS Edited By : Ritu Tripathi Published : Sep 21, 2022 8:10 IST, Updated : Sep 21, 2022 8:11 IST
dog's tomb in Chhattisgarh
Image Source : IANS dog's tomb in Chhattisgarh

Wishes for happiness and prosperity: भारतीय समाज में सिर्फ देवताओं की ही पूजा नहीं होती, बल्कि समाज के लिए आदर्श पेश करने वाले बेजुवान जानवरों की भी समाधि और मंदिर बनाकर पूजा होती है। इसका उदाहरण है छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के खपरी में स्थित कुकुरदेव मंदिर। यहां एक स्वामीभक्त कुत्ते की याद में समाधि और मंदिर बनाया गया है जिसने अंतिम सांस तक अपने मालिक के प्रति वफादारी निभाई। इस मंदिर पर जाकर श्रद्धालु अपनी सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। छत्तीसगढ़ में एक बेजुबान जानवर को उसकी वफादारी के लिए देवता का दर्जा मिला है और प्रदेश के मुखिया खुद इस गहरी लोक परम्परा के सम्मान में सिर नवाते हैं। इसी की बानगी तब देखने को मिली जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बालोद जिले के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान खपरी स्थित कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना की।

ऐसी है कुकुरदेव मंदिर की कथा 

जनश्रुति के अनुसार खपरी कभी बंजारों की एक बस्ती थी जहां एक बंजारे के पास स्वामी भक्त कुत्ता था। कालांतर में क्षेत्र में एक भीषण अकाल पड़ा जिस वजह से बंजारे को अपना कुत्ता एक मालगुजार को गिरवी रखनी पड़ी। मालगुजार के घर एक दिन चोरी हुई और स्वामीभक्त कुत्ता चोरों द्वारा छुपाए धन के स्थल को पहचान कर मालगुजार को उसी स्थल तक ले गया। मालगुजार कुत्ते की वफादारी से प्रभावित हुआ और उसने कुत्ते के गले में उसकी वफादारी का वृतांत एक पत्र के रूप में बांधकर कुत्ते को मुक्त कर दिया। गले में पत्र बांधे यह कुत्ता जब अपने पुराने मालिक बंजारे के पास पहुंचा तो उसने यह समझ कर कि कुत्ता मालगुजार को छोड़कर यहां वापस आ गया क्रोधवश कुत्ते पर प्रहार किया। जिससे कुत्ते की मृत्यु हो गई। बाद में बंजारे को पत्र देखकर कुत्ते की स्वामी भक्ति और कर्तव्य परायणता का एहसास हुआ और वफादार कुत्ते की स्मृति में कुकुर देव मंदिर स्थल पर उसकी समाधि बनाई। फणी नागवंशीय राजाओं द्वारा 14वीं शताब्दी में यहां मन्दिर का निर्माण करवाया गया। 

मन्दिर आस्था और आश्चर्य का अद्भुत संगम है, मानव-पशु प्रेम की अनोखी मिसाल पेश करता है। यहां एक स्वामीभक्त कुत्ते की समाधि है जो लोकमान्यता के अनुसार अपने मालिक के प्रति आखिरी सांस तक वफादार रहा। मुख्यमंत्री ने कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। जनश्रुति के अनुसार खपरी कभी बंजारों की एक बस्ती थी जहां एक बंजारे के पास स्वामी भक्त कुत्ता था। कालांतर में क्षेत्र में एक भीषण अकाल पड़ा जिस वजह से बंजारे को अपना कुत्ता एक मालगुजार को गिरवी रखनी पड़ी। मालगुजार के घर एक दिन चोरी हुई और स्वामीभक्त कुत्ता चोरों द्वारा छुपाए धन के स्थल को पहचान कर मालगुजार को उसी स्थल तक ले गया। मालगुजार कुत्ते की वफादारी से प्रभावित हुआ और उसने कुत्ते के गले में उसकी वफादारी का वृतांत एक पत्र के रूप में बांधकर कुत्ते को मुक्त कर दिया।

14वीं शताब्दी में हुई स्थापना 

जनश्रुति के मुताबिक गले में पत्र बांधे यह कुत्ता जब अपने पुराने मालिक बंजारे के पास पहुंचा तो उसने यह समझ कर कि कुत्ता मालगुजार को छोड़कर यहां वापस आ गया क्रोधवश कुत्ते पर प्रहार किया। जिससे कुत्ते की मृत्यु हो गई। बाद में बंजारे को पत्र देखकर कुत्ते की स्वामी भक्ति और कर्तव्य परायणता का एहसास हुआ और वफादार कुत्ते की स्मृति में कुकुर देव मंदिर स्थल पर उसकी समाधि बनाई। फणी नागवंशीय राजाओं द्वारा 14वीं शताब्दी में यहां मन्दिर का निर्माण करवाया गया।

लोग करते हैं पूजा अर्चना

इस स्थान पर आम लोग आकर पूजा अर्चना करते हैं और अपनी सुख-समृद्धि के साथ खुशहाली की कामना करते हैं। कुल मिलाकर देखें तो यह ऐसा स्थान है जहां वफादार कुत्ते की याद में बनी समाधि और मंदिर को देवालय का दर्जा हासिल है।

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