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महाशिवरात्रि के दिन जरूर करें ये पाठ, आपके शत्रुओं को भस्म कर देंगे महादेव

महाशिवरात्रि के दिन को हिंदू धर्म में खास माना गया है। ऐसे में लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। पर इस दिन भोलेनाथ को खुश करने के लिए एक पाठ जरूर करना चाहिए, आइए जानते हैं कि कौन-सा पाठ करना चाहिए

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Feb 14, 2025 13:45 IST, Updated : Feb 14, 2025 13:45 IST
भगवान शिव
Image Source : META AI भगवान शिव

महाशिवरात्रि का पर्व फरवरी माह की 26 तारीख को होने जा रहा है। ऐसे में इस दिन को महादेव और मां पार्वती के प्रति समर्पित माना जाता है। इस दिन हर किसी शिवमंदिर जाकर भोलेनाथ के दर्शन और शिवलिंग पर जलाभिषेक जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि महादेव को कोई एक लोटा जल अर्पित कर दे तो भी वह प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में अगर आपको कोई परेशान कर रहे हैं या आपके काम में किसी भी तरह की रुकावट आ रही है तो आपको शिव रुद्राष्टकम का पाठ जरूर करना चाहिए।

पाठ की विधि

कहा जाता है कि अगर आप 7 दिनों तक शिव मंदिर या घर के मंदिर में कुशासन पर बैठकर 'शिव रुद्राष्टकम' का पाठ कर ले तो महादेव उसके जीवन की सारी रुकावट दूर कर देंगे। साथ ही उसके शत्रुओं का नाश भी कर देंगे। मान्यता है कि भगवान राम में रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना करने के बाद रावण को हराने के लिए शिव रुद्राष्टकम का पाठ किया था। फलस्वरूप राम ने रावण का अंत भी हुआ था।

श्री शिव रुद्राष्टकम

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति॥
 
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम्॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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