दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दौरान लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन से तो लाभ मिलता ही है साथ ही कुछ विशेष कार्य करके इस दिन आप पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं। दिवाली अमावस्या के दिन मनाई जाती है और अमावस्या को पितरों को समर्पित तिथि के रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए आपको कार्तिक अमावस्या या दिवाली के दिन क्या-क्या काम करने चाहिए।
गंगा किनारे या पीपल तले करें ये उपाय
अगर आपके जीवन में परेशानियां चली आ रही हैं, बनते काम बिगड़ते हैं, तो इसका कारण पितृदोष हो सकता है। इसे दूर करने के लिए दिवाली की शाम आपको गंगा नदी के किनारे या फिर किसी पीपल के पेड़ तले 16 दीपक पितरों को याद करते हुए जलाने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि, यह उपाय करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। उनको शांति मिलती है, जिससे हमारे जीवन में भी सुख-समृद्धि आने लगती है।
अन्न और जल दान
हिंदू धर्म में अन्नदान को महादान कहा जाता है। इसलिए पितरों के निमित्त इस दिन आपको जरूरतमंद लोगों को अन्नदान भी करना चाहिए। इसके अलावा आप ब्राह्मणों को भोजन भी इस दिन करवा सकते हैं। यह कार्य करने से भी पितृ शांत होते हैं। इस उपाय को करने से पितरों के साथ-साथ आपको देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। अन्न के साथ ही आपको जल का दान भी अवश्य करना चाहिए।
वस्त्र दान
दिवाली ऐसे समय पर आती है जब ठंड धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। ऐसे में अगर आप जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े दान में देते हैं तो पितृ देवताओं का आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। अगर गर्म कपड़े ना भी दे पाएं तो अपनी सामर्थ्य के अनुसार आप वस्त्र दान कर सकते हैं।
प्रदोष काल में पितरों की पूजा
सूर्यास्त के बाद के 3 घंटों को प्रदोष काल कहा जाता है। इस समय लक्ष्मी-गणेश और कुबरे देव की पूजा का भी विधान है। दिवाली के दिन आपको देवी-देवताओं की पूजा के बाद अपने पितरों की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए। प्रदोष काल में पितरों की पूजा करने से जीवन की हर अड़चन दूर होने लगती है। इस दौरान पितरों का ध्यान करते हुए उनकी फोटो के सामने आपको धूप या दीपक भी अवश्य जलाना चाहिए। यह कार्य करने से आपको मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी छुटकारा मिलता है।
पितृसुक्त या गीता का पाठ
दिवाली के दिन पितरों की पूजा करते समय आपको पितृसुक्त या फिर गीता का पाठ करना चाहिए। इनमें से किसी भी पवित्र पुस्तक का पाठ करने से पितृ अतिप्रसन्न होते हैं। पाठ करने में भले ही आपको थोड़ा अधिक समय लगे, लेकिन इससे आपको जीवन में सुख परिणाम अवश्य प्राप्त होते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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