Diwali 2024 Puja Samagri and Vidhi: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर में समृद्धि और संपन्नता आती है। पांच दिनों तक मनाए जाने वाले दिवाली उत्सव के दौरान अलग-अलग देवी और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है। हालांकि मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, और भगवान कुबेर की दिवाली पर पूजा होती है। तो ज्योतिषि चिराग बेजान दारूवाला से जानिए कि दिवाली की पूजा किसी विधि के साथ करनी चाहिए और पूजा के लिए क्या-क्या सामग्री की जरूर पड़ेगी।
दिवाली लक्ष्मी पूजा सामग्री
हल्दी, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, मेहंदी, केले के पत्ते, गन्ना, खील-बताशा, पांच प्रकार की मिठाइयां, घी, तेल, दीपक, धागा, रूई, रोली, चौकी, तुलसी, मौली, कपूर, चंदन, अगरबत्ती, अगरबत्ती, सुपारी, नारियल, पांच प्रकार के फल, सिंघाड़ा, सीताफल, आम के पत्ते, पान के पत्ते, फूल, चांदी का सिक्का, माला, कमल का गुच्छा, कमल का फूल, पान के पत्ते, आरती की थाली, तांबे का लोटा, इत्र की बोतल, नैवेद्य।
लक्ष्मी पूजन की विधि
- पूजा स्थल को शुद्ध करके साफ करें और वहां गंगाजल छिड़कें। पूजा में पवित्रता और सात्विकता का विशेष महत्व है।
- अब उस स्थान पर स्वास्तिक बनाएं और उस पर मुट्ठी भर चावल रखें।
- इसके बाद लकड़ी का एक पाट रखें जिसमें देवी लक्ष्मी, श्री गणेश और कुबेर जी विराजमान हों।
- पाट पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र रखें।
- चित्र या मूर्ति को साफ करने या गंगाजल छिड़कने के बाद अब उनके सामने धूपबत्ती, अगरबत्ती, दीप आदि जलाएं।
- अब देवी के चित्र के चारों ओर केले के पत्ते और गन्ना रखें।
- अब देवी को उनकी सभी प्रिय चीजें अर्पित करें। जैसे कमल का फूल, सिंघाड़ा, पीली मिठाई, कमल गट्टे आदि।
- फिर देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। सबसे पहले उन्हें फूलों की माला पहनाएं और हल्दी, कुमकुम और चावल लगाएं।
- अनामिका अंगुली से सुगंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाएं।
- सभी सामग्री अर्पित करने के बाद देवी की आरती करें। आरती में घर के सभी सदस्यों को भाग लेना चाहिए।
- पूजा और आरती के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नैवेद्य में नमक, मिर्च और तेल का उपयोग नहीं किया जाता है। प्रत्येक थाली पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
दिवाली 2024 पूजा शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि का आरंभ दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से होगा। अमावस्या तिथि का समापन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर होगा। दिवाली पूजा के लिए सबसे उत्तम और शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर शाम 5 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
ये भी पढ़ें-