Diwali Mythology Story: दीपावली का दिन अब ज्यादा दूर नहीं हैं। अगले हफ्ते ही दीपावली है और इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस बार दीपावली 12 नवंबर 2023 को रविवार के दिन है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। आप ने एक बात पर गौर किया होगा कि कोई भी पूजा हो, लेकिन भगवान गणेश की पूजा सभी जगहों पर सबसे पहले की जाती है। तो आइये जानते हैं, आखिर कैसे भगवान गणेश बने दवेताओं में प्रथम पूज्यनीय देव।
श्री गणेश ने की सबसे पहले परिक्रमा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनसे पूछा कि, है माहादेव आपी ही बताएं सभी देवताओं में से सबसे पहले किस देवता की पूजा होनी चाहिए। तब भगवान शिव समझ गए की सभी देवता अपने आप को श्रेष्ठ मानने का अहंकार लेकर आएं है। भगवान शिव ने सभी देवताओं से कहा कि, जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड की परिक्रमा सबसे पहले कर के आएगा। वही सबसे पहले इस जगत में पूजा जाएगा। सभी देवता अपने वाहन पर बैठ कर पूरे ब्रह्माणड की परिक्रमा करने निकल गए। लेकिन गणेश जी ने उस समय सभी देवताओं की तरह ब्रह्माणड की परिक्रमा न करने की जगह भगवान शिव और मां पार्वती की सात परिक्रमा करी और फिर उनके सामने होथ जोड़ कर उनसे आशीर्वाद लिया।
माता पिता की परिक्रमा कर श्री गणेश बने प्रथम पूज्यनीय देव
देवता गण जब ब्रह्माणड की परिक्रमा कर भगवान शिव के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने गणेश जी को विजयी घोषित किया और उन्हें प्रथम पूज्यनीय देवता का वर्दान दिया। यह देख कर सभी देवता हैरान हो गए और भगवान शिव से कहा कि, आपने तो कहा था जो सबसे पहले पूरे ब्रह्माणड की परिक्रमा कर के आएगा उसे आप प्रथम पूज्यनीय देवता घोषित करेंगे। लेकिन आपने तो श्री गणेश को यह उपाधि दे दी। जबकी वो हमारे साथ न जाकर यहीं आपके पास खड़े हैं।
देवताओं ने भी किया भगवान गणेश को प्रणाम
देवताओं के सवाल पूछने के बाद भगवान शिव ने कहा कि, यह तो शास्त्र प्रमाणित है कि, संपूर्ण ब्रह्माण्ड माता-पिता के चरणों में है। संपूर्ण ब्रह्माण्ड में माता-पिता का स्थान सबसे उपर है। इस बात को सभी देवताओं ने स्वीकार किया और श्री गणेश को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया। इस प्रकार भगवान गणेश प्रथम पूज्यनीय देवता बने और इसी कारण उनकी पूजा करने के बाद ही अन्य देवताओं की पूजा की जाती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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