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Narak Chaturdashi 2023: छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से क्यों जाना जाता है? इसके पीछे जुड़ी है ये पौराणिक कथा

दीपावली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी पड़ती है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है। जिसे नरक चतुर्दशी या नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी क्यों कहते हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: November 04, 2023 18:16 IST
Narak Chaturdashi 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Narak Chaturdashi 2023

Narak Chaturdashi 2023: दीपावली का त्यौहार आने वाला है और इसकी तैयारियां भी हर जगह शुरू हो गई हैं। जैसा की आप सब जानते हैं कि इस बार दीपावली 12 नवंबर 2023 को है। दीपावली का पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। दीपावली से ठीक एक दिन पहले छोटी दीपावली मनाई जाती है। छोटी दीपावली वाले दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जात है। इस बार छोटी दीपावली 11 नवंबर 2023 को है।

एक बात सोचने वाली बात है कि छोटी दीपावली वाले दिन को नरक चतुर्दशी या नरक चौदस क्यों कहा जाता है। ये बात अकसर हमारे जहन में आती है। तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि छोटी दीपावली के दिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि यह दिन नरक चतुर्दशी कहलाया जाने लगा।

श्री कृष्ण ने किया था नरकासुर का वध

दीपावली का पर्व मुख्य रूप से भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी में मनाया जाता है। लेकिन इससे ठीक एक दिन पहले यानी छोटी दीपावली के दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। नरकासुर के आतंक से सभी परेशान थे और उसने अपने बंदीगृह में 16 हजार स्त्रियों को कैद कर के रखा था। श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद उन 16 हजार स्त्रियों को नराकसुर की कैद से मुक्त कराया था। इस खुशी में लोगों ने दीप जालाए और नरकासुर के अंत की खुशी मनाई। इस कारण छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी कहा जाने लगा।

नरकासुर के वध पर मनाई जाती है छोटी दीपावली

नरकासुर के वध के साथ ही उसके आतंक का भी अंत हुआ इस खुशी में लोगों ने दीये जलाए। मान्यता है कि दीये जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा का दमन होता है। इस कारण इस दिन दीये जलाए जाते हैं और यह दिन नरक चतुर्दशी के साथ ही साथ छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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