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Diwali 2023: मां लक्ष्मी और श्री गणेश का क्या है रिश्ता? क्यों होती है इनकी पूजा एक साथ, ये है इसकी पौराणिक कथा

हम सभी दीपावली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से करते हैं। ऐसे में एक सवाल मन में उठता है कि मां लक्ष्मी और श्री गणेश का क्या रिश्ता है। आइये जानते हैं पौराणिक कथा में इस विषय पर क्या बताया गया है।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Oct 27, 2023 21:05 IST, Updated : Oct 28, 2023 15:28 IST
Diwali 2023
Image Source : INDIA TV Diwali 2023

Diwali 2023: कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन दीपों का पर्व दीपावली मनाया जाता है। हिंदू धर्म में यह प्रमुख त्योहारों में से सबसे लोकप्रिय त्योहार है। लोखों भक्तों की आस्था इस त्योहार से जुड़ी है, क्योंकि उनके आराध्य प्रभु श्री राम अपने चौदह वर्षों के वनवास को पूर्ण कर अयोध्या नगरी पधारे थे। इस खुशी में अयोध्या वासियों ने श्री राम के पुनः आगमन पर पूरी अयोध्या नगरी में दीप प्रज्जवलित कर उनका अभिनंदन किया था और तभी से दीपावली का पर्व प्रख्यात हो गया।

वैसे दिवाली के दिन हम सभी सुख-समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दौरान  एक सवाल हम सभी के मन में आता है कि मां लक्ष्मी और भगवान गणेश में आखिर कौन सा पावन रिशता जुड़ा है। आज हम इसी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

मां लक्ष्मी का टूटा था अहंकार

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक समय की बात है। जब लक्ष्मी जी को अभिमान हो गया था कि संपूर्ण संसार मेरी पूजा करता है और मेरी कृपा पाने के लिए लालायित रहता है। उनकी इस बात से भगवान विष्णु अनजान न थे और वो उनके इस अभिमान को जान गए थे। भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी के अभिमान को तोड़ने के उद्देश्य से उनसे कहां कि, है दवी आपको भले ही सारा संसार पूजता है। लेकिन फिर भी आप अभी तक अपूर्ण हैं, क्योंकि जब तक कोई भी स्त्री मां नहीं बनती वहा अपूर्ण है।

मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र बने श्री गणेश

भगवान विष्णु ने जब मां लक्ष्मी से कहा कि बिना पुत्र कोई भी स्त्री अपूर्ण होती है। तब मां लक्ष्मी को यह बात जानकर दुःख पहुंचा। मां लक्ष्मी ने अपनी यह पीड़ा अपनी सखी देवी पार्वती से बताई और उनके पुत्र गणेश को गोद लेने के लिए कहा। मां लक्ष्मी का दुःख देवी पार्वती से देखा नहीं गया और उन्होनें अपने पुत्र गणेश को गोद दे दिया। गणेश जी को पुत्र रूप में पाने के बाद मां लक्ष्मी खुश हुईं और उन्होनें श्री गणेश को यह वरदान दिया कि मेरी पूजा के साथ जो भी तुम्हारी पूजा नहीं करेगा में उस पर कभी भी अपनी कृपा नहीं करूंगी और न ही उसे आशीर्वाद दूंगी। इस प्रकार मां लक्ष्मी ने गणेश जी को दत्तक पुत्र रूप में स्वीकार किया।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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