Highlights
- इस साल 24 अक्टूबर दिवाली मनाई जाएगी
- दिवाली की पूजा लक्ष्मी आरती के साथ ही संपन्न करें
- दिवाली के दिन गणेश और सरस्वती जी की पूजा भी जरूर करें
Diwali 2022: दिवाली को प्रकाश का पर्व भी कहते हैं। इस दिन हर घर, आंगन, सड़क और गलिया रौशन रहती हैं। दिवाली हिंदूओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस पावन दिन घर-घर में धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही देवी सरस्वती और भगवान कुबेर को भी पूजा जाता है। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए लोग महीनों पहले से घर की साफ-सफाई और साज-सज्जा में जुट जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पूरे विधान से दिवाली की पूजा करने से लक्ष्मी जी जमकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। यहां आपको बता दें कि दिवाली की पूजा लक्ष्मी और गणेश आरती के बिना अधूरी मानी जाती है। तो दिवाली की पूजा आरती के साथ ही संपन्न करें।
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गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
लक्ष्मी जी की आरती
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥