Chhath Puja 2023 Third Day: 'कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय...' आज महापर्व छठ का तीसरा दिन है और हर घाट इसी तरह के भक्ति गीत से गूंजे उठेगा। आज भगवान सूर्य देव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। आज नदी, तालाब और झील इत्यादि किनारे बने घाट पर लोग छठ का डाला लेकर पहुंचेंगे, जहां व्रती महिलाएं सूर्यास्त के समय पूरे श्रद्धा भाव से भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देंगी। व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने अपने संतान की लंबी आयु के साथ परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
इस विधि के साथ सूर्य देव को दें पहला अर्घ्य
- छठ व्रत के तीसरे दिन घाट पर जाने से पहले बांस के डाला को अच्छे से सजा लें।
- डाला में सारे फल, प्रसाद और अन्य पूजा सामग्री रख दें।
- सभी प्रसाद सूप में भी रखें और सूप में ही दीपक जलाएं।
- इसके बाद घर का कोई सदस्य डाला को अपने सिर पर रखर तालाब या नदी यानी घाट तक ले जाएं।
- फिर घाट पर पहुंचने के बाद नदी किनारे डाला और गन्ना को अच्छे से रख दें।
- व्रती महिलाएं सूती यानी कॉटन की साड़ी ही पहनें और पुरुष धोती पहनकर ही छठ की पूजा करें।
- सूरज ढलने के समय व्रती पानी में प्रवेश करें।
- फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करें।
- डाल, सूप आदि पूजा सामग्री को जल से स्पर्श जरूर कराएं।
छठ पूजा के दिन इन सूर्य मंत्रों का करें जाप
- ॐ मित्राय नम:
- ॐ रवये नम:
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ आदित्याय नम:
- ॐ सवित्रे नम:
- ॐ भास्कराय नम:
- ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ भास्कराय नम:
19 नवंबर 2023 सूर्यास्त का समय
19 नवंबर, रविवार को व्रती महिलाएं सूर्य देव को पहला अर्घ्य देंगी। छठ पूजा के तीसरे दिन ढलते सूर्य को पूजा का विधान है। ऐसे में आपको बता दें कि रविवार को सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 25 मिनट का रहेगा।
छठ व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, छठ का व्रत करने से भगवान सूर्य देव समेत छठी मैया का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। हिंदू धर्म में छठ पूजा का महत्व काफी अधिक है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से शुरू होने वाले इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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