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Chhath Puja 2022: आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य, जानें मंत्र, पूजा विधि और महत्व

Chhath 2022: आज महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी। इसके बाद कल यानी छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। महिलाएं छठ का व्रत परिवार संतान की खुशहाली के लिए करती हैं। छठ में भगवान सूर्य और छठी मईया की उपासना का खास महत्व है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Oct 30, 2022 7:30 IST, Updated : Oct 30, 2022 7:51 IST
Chhath Puja 2022, Chhath
Image Source : FREEPIK महापर्व छठ पूजा 2022

Chhath Puja 2022: 'ॐ सूर्याय नम:, ॐ भास्कराय नम:...' आज इन मंत्रों के उच्चारण से हर नदी और तालाब गूंज उठेगा। रविवार की शाम हर छठ प्रेमियों के लिए बेहद ही खास, क्योंकि आज ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। बता दें कि छठ ही ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। इस महापर्व की असली छठा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश समेत नेपाल के मधेश क्षेत्र में भी देखने को मिलती है। छठ की तीसरे दिन नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं। व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। 

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छठ पूजा सामग्री

महापर्व छठ में सूप, डाला और गन्ना का महत्व अधिक है। तीनों चीजों के बिना छठ की पूजा पूरी नहीं होती है। इसके अलावा छठ पूजा सामग्री में ये चीजें भी जरूर रखें... हल्दी का पौधा, नींबू, शरीफा, शकरकंदी, पत्ते लगे गन्ने, नाशपाती, केला, ठेकुआ, चावल आटे का लड्डू, कुमकुम, चंदन, सुथनी, पान, सुपारी, शहद, अगरबत्ती, धूप बत्ती, दीपक, दीया, तेल, कपूर, बांस की दो बड़ी टोकरी, नए वस्त्र साड़ी या सूट, साफ धोती या लाल कपड़ा, जल वाला लोटा, दूध, मूली, गेंहू , चावल , सुथनी, अरता के पत्‍ता, सुपारी, पान का पत्ता, मिट्टी या पीतल का कलश, ठेकुआ। 

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छठ पूजा विधि

छठ (Chhath 2022) के दिन डाला में प्रसाद रख के उसे सजाया जाता है। डाला से मतलब बांस का डलिया है। इस डाला को घर का कोई पुरुष अपने सिर पर रखकर तालाब या नदी के घाट तक ले जाता है। इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्यास्त के समय पानी में प्रवेश करती हैं। सभी प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं। फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करें। महिलाओं को सूती साड़ी और पुरुषों को धोती पहनकर छठ की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ स्वच्छता और पवित्रता का भी विशेष ख्याल रखें। 

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महापर्व छठ का महत्व 

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो कोई भी श्रद्धा भाव से छठी मईया और सूर्यदेव की उपासना करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इतना ही नहीं निसंतान दंपति को संतान का सुख भी मिलता है। छठ का व्रत संतान के स्वास्थ और दीर्घायु के लिए किया जाता है। छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन माना जाता है। इसमें व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जलवा उपवास रखती हैं। वहीं छठ का व्रत महिला और पुरुष दोनों ही रख सकते हैं। छठ में डूबते सूर्य के साथ उगते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही छठ का व्रत पूरा होता है। इसी दिन व्रती महिलाओं का पारण यानी वो अपना व्रत खोलती हैं।

सूर्य देव मंत्र (Chhath Puja Surya mantra)

ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

 

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