Holi 2024: मथुरा-वृंदावन समेत पूरे ब्रज की होली देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। ब्रज की होली देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। कान्हा की नगरी में होली खेलने का अंदाज बिल्कुल ही अलग है। यहां रंग, अबीर-गुलाल के अलावा फूल, लड्डू, लट्ठ और छड़ी से होली खेली जाती है। ब्रज ही एक जगह ऐसी है जहां लट्ठ और छड़ी से मार खाकर लोग खुद को भाग्यशाली समझते हैं। पूरे ब्रज में होली का उत्सव लड्डू मार होली के साथ शुरू हो जाता है। वहीं आज गोकुल में छड़ीमार होली खेली जाएगी। तो आइए जानते हैं छड़ीमार होली के बारे में।
छड़ीमार होली का महत्व
आज यानी 21 मार्च को गोकुल में छड़ीमार खेली जाएगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को छड़ीमार होली खेली जाती है। छड़ीमार होली खेलने की शुरुआत नंदकिले के नंदभवन में ठाकुरजी के समक्ष राजभोग का भोग लगाकर की जाती है। हर साल होली खेलने वाली गोपियां 10 दिन पहले से छड़ीमार होली की तैयारियां शुरू कर देती हैं।
छड़ीमार होली क्यों खेली जाती है?
पौराणिक कथा के अुनसार, कान्हा जी बचपन में बड़े ही नटखट थे और वे गोपियों को काफी परेशान भी करते थे। गोपियां कृष्ण जी को सबक सिखाने के लिए उनके पीछे छड़ी लेकर भागा करती थी। गोपियां छड़ी का इस्तेमाल कान्हा जी सिर्फ डराने के लिए करती थी। कहते हैं कि इसी परंपरा की वजह से आज गोकुल में छड़ीमार होली खेली जाती है, जिसमें लट्ठ की जगह छड़ी का प्रयोग किया जाता है। बाल गोपाल को चोट न लग जाए इसलिए लट्ठ की जगह छड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं कि छड़ीमार होली कृष्ण के प्रति प्रेम और भाव का प्रतीक मानी जाती है।
ब्रज होली उत्सव लिस्ट
- 21 मार्च 2024- छड़ीमार होली, बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली (गोकुल)
- 22 मार्च 2024- गोकुल होली
- 24 मार्च 2024- होलिका दहन (द्वारकाधीश मंदिर डोला, मथुरा विश्राम घाट, बांके बिहारी वृंदावन में)
- 25 मार्च 2024- पूरे ब्रज में होली का उत्सव मनाया जाएगा
- 26 मार्च 2024- दाऊजी का हुरंगा
- 30 मार्च 2024- रंग पंचमी पर रंगनाथ जी मंदिर में होली
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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