इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है और उसी दिन चंद्र ग्रहण पड़ रहा रहा है। भारतीय समयानुसार इस चंद्र ग्रहण का स्पर्श काल देर रात 1 बजकर 5 मिनट पर होगा, जबकि इसका मोक्ष काल देर रात 2 बजकर 24 मिनट पर होगा। इस ग्रहण का कुल पर्वकाल 1 घंटा 19 मिनट का होगा, जबकि इसका सूतक 28 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 5 मिनट से ही शुरू हो जायेगा। माना जाता है कि ग्रहण में वातावरण की किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं। इसलिए ग्रहण और सूतक काल में कुछ भी खाने-पीने की मनाही रहती है। क्योंकि किरणों का नकारात्मक प्रभाव खाने-पीने की सामग्री पर पड़ता है, जिसके सेवन से स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इसके अलावा ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत होती है। उनकी ज़रा सी लारवाही से आने वाले बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान
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चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना चाहिए। उन्हें किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहिए।
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गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय रसोई से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
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उन्हें सुई में धागा नहीं डालना चाहिये। कुछ छीलना या काटना नहीं चाहिये।
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गर्भवती महिला के आस-पास से ग्रहण के निगेटिविटी को दूर करने के लिये उनके कमरे के बाहर गोबर या गेरु से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए।
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ग्रहण के समय गभ्वती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही ग्रहण को कभी भी डायरेक्ट आंखों से देखना चाहिए।
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गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दिन ज्यादा से ज्यादा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। महिलाओं को पूजा-पाठ में मन लगाना चाहिए।
मंत्रों का करें उच्चारण
इसके अलावा ग्रहण के दौरान हाथ जोड़कर भगवान या अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का तेज आवाज में उच्चारण करना चाहिए| चन्द्र ग्रहण के दौरान चन्द्रदेव के मंत्रों का भी तेज आवाज़ में उच्चारण करना चाहिए। चन्द्रदेव के मंत्र इस प्रकार हैं- इसके अलावा इस मन्त्र का भी जप कर सकते है। मन्त्र है- ‘ऊँ ऐं ह्रीं सोमाय नमः।‘ साथ ही विश्वेदेवो का ध्यान भी करना चाहिए। आपको बता दूं कि- विश्वेदेवो में दस देवता सम्मिलित हैं- इनमें इन्द्र, अग्नि, सोम, त्वष्ट्रा, रुद्र, पूखन्, विष्णु, अश्विनी, मित्रावरूण और अंगीरस शामिल हैं। आज इन सबका मंत्रों के साथ इस प्रकार ध्यान करना चाहिए- ऊँ इन्द्राय नमः। ऊँ अग्नये नमः। ऊँ सोमाय नमः। ऊँ त्वष्ट्राय नमः। ऊँ रुद्राय नमः। ऊँ पूखनाय नमः। ऊँ विष्णुवे नमः। ऊँ अश्विनीये नमः। ऊँ मित्रावरूणाय नमः। ऊँ अंगीरसाय नमः
ग्रहण के बाद करें ये काम
ग्रहण के बाद घर की साफ-सफाई करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए तथा घर के मंदिर में रखे सभी देवी-देवताओं की मूर्तियों और चित्रों पर भी गंगाजल का छिड़काव करके स्नान करना चाहिए।