माता सती के अंग जहां गिरे उन स्थानों पर शक्तिपीठ बने। आज भी बड़ी संख्या में भक्त इन शक्तिपीठों में माता के दर्शन करने जाते हैं। खासकर नवरात्रि के दौरान इन शक्तिपीठों की रौनक देखते ही बनती है। देवी पुराण में इन शक्तिपीठों की संख्या 51 बताई गई है, हालांकि कुछ लोग इनकी संख्या 52 बताते हैं। इन शक्तिपीठों में से कितने शक्तिपीठ भारत के पड़ोसी देशों में हैं और वहां किस नाम से माता की पूजा की जाती है इसके बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे।
नेपाल में स्थित माता के शक्तिपीठ
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में माता के दो शक्तिपीठ हैं। जिनमें पहला शक्तिपीठ वो है जहां माता के दोनों घुटने गिरे थे। इस शक्तिपीठ को गुहेश्वरी मंदिर के नाम से जाना जाता है और यहां माता की पूजा महामाया के नाम से की जाती है। नेपाल में गंडक नदी के पास माता का बांया गाल गिरा था और यहां माता को गंडकी के रूप में पूजा जाता है।
बांग्लादेश में माता के शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जैनपुर गांव के पास माता का गला गिरा था और इस स्थान पर माता की पूजा महालक्ष्मी के रूप में की जाती है। दूसरा शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना जिले में स्थित हैं यहां माता की हथेली गिरी थी और इस स्थान पर माता को यशोरेश्वरी के नाम से पूजा जाता है। बांग्लादेश के भवानीपुर गांव में माता को अर्पणा नाम से पूजा जाता है, यहां माता सती के बायें पैर की पायल गिरी थी। बांग्लादेश में सुनंदा नदी के किनारे माता की नासिका गिरी थी जहां माता को सुगंधा के रूप में जाना जाता है। बांग्लादेश में सीता कुंड स्टेशन के निकट माता की पूजा भवानी के रूप में की जाती है यहां माता सती की दाहिनी भुजा गिरी थी।
श्रीलंका में माता का शक्तिपीठ
श्रीलंका में माता की पायल गिरी थी, लेकिन वह स्थान कहां है इसके बारे में लोगों के अलग-अलग मत हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि ये जगह श्रीलंका के ट्रिंकोमाली में है लेकिन विदेशी आक्रमण के कारण यह जगह ध्वस्त हो गई और वहां केवल स्तंभ रह गया। श्रीलंका में माता को इंद्रक्षी के रूप में पूजा जाता है।
पाकिस्तान में माता का शक्तिपीठ
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में माता का एक शक्तिपीठ है। इसे हिंगलाज माता के नाम से जाना जाता है क्योंकि ये हिंगोल नदी के पास स्थित है। यहां माता का सिर गिर था और माता को इस स्थान पर कोट्टरी देवी के रूप में पूजा जाता है।
तिब्बत में स्थित माता का शक्तिपीठ
तिब्बत में मानसरोवर झील के पास माता सती का दायां हाथ गिरा था और यहां माता की पूजा दाक्षायणी के रूप में की जाती है। इस स्थान को मनसा शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है।
चैत्र नवरात्रि 2024
आप साल 2024 में चैत्र नवरात्रि के दौरान इन शक्तिपीठों के दर्शन करने जा सकते हैं। आपको बता दें की साल 2024 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)