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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा, जानिए कैसे करें माता को प्रसन्न

Chaitra Navratri 2023 5th Day Maa Skandmata Puja: 26 मार्च 2023 को नवरात्रि का पांचवां दिन है और इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। साथ ही इस दिन राम राज्य महोत्सव के साथ ही श्री पंचमी भी भी मनाई जाएगी।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Sushma Kumari Published on: March 25, 2023 18:44 IST
Chaitra Navratri 2023 5th Day Maa Skandmata Puja- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chaitra Navratri 2023 5th Day Maa Skandmata Puja

Chaitra Navratri 2023 5th Day Maa Skandmata Puja:  26 मार्च को चैत्र नवरात्र का पांचवा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप, यानि मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। देवताओं के सेनापति कहे जाने वाले स्कन्द कुमार, यानि कार्तिकेय जी की माता होने के कारण ही देवी मां को स्कंदमाता कहा जाता है। इनके विग्रह में स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। माता का रंग पूर्णतः सफेद है और ये कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं, जिसके कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है।  

माना जाता है कि देवी मां अपने भक्तों पर ठीक उसी प्रकार कृपा बनाए रखती हैं, जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों पर बनाकर रखती हैं। देवी मां अपने भक्तों को सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। साथ ही स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि हमारा जीवन एक संग्राम है और हम स्वयं अपने सेनापति। अतः देवी मां से हमें सैन्य संचालन की प्रेरणा भी मिलती है। 

देवी स्कंदमाता पूजा शुभ मुहूर्त ( Skandmata Puja Muhurat)

चैत्र शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि का शुभारंभ  - 25 मार्च को दोपहर 02 बजकर 53 मिनट से

चैत्र शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि का समापन - अगले दिन दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर 
इस दिन रवि योग दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से 27 मार्च को सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। 

नवरात्र के पांचवें दिन क्या चढ़ाएं माता को?

नवरात्र के पांचवें दिन देवी मां को अंगराग, यानि सौन्दर्य प्रसाधन की चीज़ें और अपने सामर्थ्य अनुसार आभूषण चढ़ाने का विधान है। 

देवी स्कंदमाता की पूजा विधि (Skandmata Puja Vidhi)

स्कंदमाता की पूजा के लिए सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करें। इसके बाद उस चौकी में श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

इसमें आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। 

 देवी स्कंदमाता मंत्र (Skandmata Puja Mantra)

देवी मां के इस मंत्र का 11 बार जप भी करना चाहिए। मंत्र है-

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कन्दमाता के इस मंत्र का जप करने से आपको बुध संबंधी परेशानियों से तो छुटकारा मिलेगा ही, साथ ही आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहेगी। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)

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