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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की इस मुहूर्त में करें पूजा, माता रानी हर अधूरी इच्छा जल्द करेंगी पूरी!

Chaitra Navratri 2023 1st Day Maa shailputri Puja: 22 मार्च को नवरात्र का पहला दिन है और नवरात्र के पहले दिन देवी मां के निमित्त कलश स्थापना की जाती है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाएगी।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Sushma Kumari Published : Mar 21, 2023 12:43 IST, Updated : Mar 23, 2023 13:58 IST
Chaitra Navratri 2023 1st Day Maa shailputri Puja
Image Source : INDIA TV Chaitra Navratri 2023 1st Day Maa shailputri Puja

Chaitra Navratri 2023 1st Day Maa shailputri Puja:  कल यानी 22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है जो 30 मार्च तक चलेगी। इन नौ दिनों के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की उपासना की जाएगी। 22 मार्च को नवरात्र का पहला दिन है और नवरात्र के पहले दिन देवी मां के निमित्त कलश स्थापना की जाती है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाएगी। ऐसे में आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए कलश स्थापना का सही समय क्या होगा, उसकी सही विधि क्या होगी? साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त, भोग, विधि। 

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन

मां शैलपुत्री की पूजा (घटस्थापना) – 22 मार्च 2023, बुधवार

पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जायेगी। मां शैलपुत्री की उपासना करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है।  इन सब चीज़ों का लाभ उठाने के लिए देवी मां के इस मंत्र से उनकी उपासना करनी चाहिए। मंत्र है- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।’  आपको अपनी इच्छानुसार संख्या में इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। 

माता को क्या करें भेंट

शास्त्रों के अनुसार नवरात्र में प्रत्येक नौ दिनों के दौरान देवी मां को कुछ न कुछ भेंट करने का विधान है। नवरात्र के पहले दिन देवी को शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए। त्रिफला में आंवला, हर्रड़ और बहेड़ा डाला जाता है। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। 

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 

  • सुबह 06.29 बजे से शुरू होकर सुबह 7.40 बजे तक 

कलश स्थापना विधि

सबसे पहले घर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में किसी निर्धारित स्थान की सफाई कर वहां पर उत्तर-पूर्व कोने में जल छिड़ककर साफ मिट्टी या बालू रखनी चाहिए। उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए। उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की साफ परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए। यानि उसके ऊपर जल छिड़कना चाहिए। उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश को गले तक साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए। अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल जरूर मिलाना चाहिए।

इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर

गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वती!

नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।

इस मंत्र का जप करना चाहिए, अगर मंत्र याद न हो तो बिना मंत्र के ही गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा, आदि पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए, उन नदियों के जल का आह्वान  उस कलश में करना चाहिए और ऐसा भाव करना चाहिए कि सभी नदियों का जल उस कलश में आ जाए। साथ ही वरुण देवता का भी आह्वाहन करना चाहिए कि वो उस कलश में अपना स्थान ग्रहण करें।

इसके बाद कलश के मुख पर कलावा बांधना चाहिए और एक ढक्कन या परई या दियाली या मिट्टी की कटोरी, जो भी आप उसे अपनी भाषा में कहते हों और जो भी आपके पास उपलब्ध हो, उससे कलश को ढक देना चाहिए। अब ऊपर ढकी गयी कटोरी में जौ भरना चाहिए। यदि जौ न हो तो चावल भी भर सकते हैं। इसके बाद एक जटा वाला नारियल लेकर उसे लाल कपड़े से लपेटकर, ऊपर कलावे से बांध देना चाहिए। इस प्रकार बांधे हुए नारियल को जौ या चावल से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित करना चाहिए। 

इन बातों का रखें ध्यान

कुछ लोग कलश के ऊपर रखी गयी कटोरी में ही घी का दीपक जला लेते हैं। ऐसा करना उचित नहीं है। कलश का स्थान पूजा के उत्तर-पूर्व कोने में होता है जबकि दीपक का स्थान दक्षिण-पूर्व कोने में होता है। अतः कलश के ऊपर दीपक नहीं जलाना चाहिए। 

दूसरी बात ये है कि कुछ लोग कलश के ऊपर रखी कटोरी में चावल भरकर उसके ऊपर शंख स्थापित करते हैं, आप ऐसा कर तो सकते हैं। बशर्ते की शंख दक्षिणावर्ती होना चाहिए।  उसका मुंह ऊपर की ओर रखना चाहिए और चोंच अपनी ओर करके रखनी चाहिए। इस दौरान नवार्ण मंत्र का जप करते रहना चाहिए। 

नवार्ण मंत्र है-
“ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)

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