Highlights
- दीपावली के बाद भाई दूज का त्योहार भी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है
- इस बार भाई दूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा
Bhai Dooj 2022 Katha: पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज या भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है। इस साल भाई दूज बुधवार 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। जिसमें बहने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं , आरती करती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। दीपावली के बाद भाई दूज का त्योहार भी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भाई दूज का त्योहार मनाए जाने के पीछे क्या मान्यता है। दरअसल, भाई दूज की कथा यमराज और उसकी बहन यमुना से जुड़ी हुई है। भाई दूज की पूजा में हर भाई-बहन को यह कथा अवश्य सुननी चाहिए।
भाई दूज की कथा
भाई दूज से जुड़ी धार्मिक व पौराणिक कथा यमुना और यमराज से जुड़ी है। इसके अनुसार, भगवान सूर्य की पत्नी छाया के गर्भ से दो संतान यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थी। वह अपने भाई को हमेशा भोजन के लिए घर बुलाती थी। लेकिन यमराज अपने व्यस्त कार्यों से कारण यमुना के घर नहीं जा पाते थे और हमेशा टाल देते थे। एक बार कार्तिक शुक्ल के दौरान यमुना ने फिर से यमराज को भोजन के लिए आमंत्रित किया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राण हरने वाला हूं। इसलिए मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाता। लेकिन बहन यमुना जिस प्यार के साथ मुझे बुला रही है, उसका मान रखना भी मेरा कर्तव्य है। तब यमराज बहन यमुना के घर पहुंचे। भाई यमराज को अपने घर पर देख बहन यमुना की खुशी का ठिकाना न रहा। उसने यमराज के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाएं। यमराज को बहन द्वारा कराया गया भोजन और अतिथि सत्कार खूब पसंद आया। उसने खुश होकर बहन से जब कुछ मांगने को कहा तो यमुना ने यमराज से हर साल इसी दिन घर आने का वचन ले लिया।
यमुना ने कहा कि मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार कर टीका करेगी, उसके भाई को यमराज का डर नहीं होगा। यमराज ने ‘तथास्तु’ कहा और बहन यमुना को वस्त्र-आभूषण देकर यमलोक चले गए। तब से हर साल इस दिन भाई दूज पर्व मनाने की परपंरा चली आ रही है। मान्यता है कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर टीका कराते हैं, उसकी उम्र लंबी होती है और उसे यमराज का भय नहीं होता। इसलिए भाई दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है। साथ ही यह कथा सुनी जाती है।
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