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Bhadrapad Amavasya 2023: भाद्रपद अमावस्या में कुश का है खास महत्व, जानें कुशाग्रहणी अमावस्या की तिथि और नियम

Bhadrapad Amavasya 2023 Date: हिंदू धर्म में भाद्रपद अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन दान-धर्म और पितरों का तर्पण किया जाता है। तो आइए जानते हैं भाद्रपद अमावस्या कि सही तिथि, शुभ मुहूर्त और जरूर नियम।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Sep 11, 2023 12:43 IST, Updated : Sep 11, 2023 12:44 IST
Bhadrapad Amavasya 2023
Image Source : INDIA TV Bhadrapad Amavasya 2023

Bhadrapad Amavasya 2023: हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन को दान-धर्म करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भाद्रपद महीने में पड़ने वाली इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी या कुशाग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस अमावस्या का बहुत ही महत्व बताया गया है। इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों, अनुष्ठानों और श्राद्ध आदि कार्यों के लिए कुश इकट्ठा किया जाता है। साथ ही इस दिन स्नान-दान, जप, तप और व्रत आदि का भी महत्व है। इससे व्यक्ति को कर्ज के साथ-साथ जीवन में चल रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।

भाद्रपद अमावस्या 2023 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • भाद्रपद अमावस्या तिथि आरंभ- 14 सितंबर 2023 को सुबह 4 बजकर 48 मिनट से
  • भाद्रपद अमावस्या तिथि समापन- 15 सितंबर 2023 को सुबह 7 बजकर 9 मिनट पर 
  • भाद्रपद अमावस्या तिथि- 14 सितंबर 2023

हिंदू धर्म में कुश का महत्व

हमारे शास्त्रों में सभी प्रकार के शुभ या धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों आदि में कुश का उपयोग किया जाता है। किसी को दान देते समय, सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय और अन्य कई कार्यों में भी कुश का उपयोग किया जाता है। कहा भी गया है कि कुश के बिना की गई पूजा निष्फल हो जाती है- पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:। कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया॥ इसलिए कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन कुश ग्रहण करने का या कुश को इकट्ठा करने का विधान है। भाद्रपद अमावस्या के दिन प्रत्येक व्यक्ति को जितनी मात्रा में हो सके कुश ग्रहण जरूर करना चाहिए।

भाद्रपद अमावस्या के दिन कुश से जुड़े इन बातों का रखें ध्यान

भाद्रपद अमावस्या के दिन स्नान आदि के बाद उचित स्थान पर जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके दाहिने हाथ से कुश तोड़नी चाहिए। कुश तोड़ते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- 'ऊँ हूं फट्- फट् स्वाहा।' कुश तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कुश कटा-फटा नहीं होना चाहिए, वह पूर्ण रूप से हरा भरा होना चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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