हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले पंचांग के अनुसार दिन और शुभ मुहूर्त निकाले जाते हैं। क्योंकि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य ही सफल होते हैं। हिंदू धर्म में भद्रा काल को अशुभ माना गया है। इसलिए शुभ-मांगलिक कार्य करते समय भद्रा काल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। भद्रा काल में मंगल कार्य की शुरुआत या समाप्ति करना अशुभ माना जाता है। भद्रा काल की अशुभता को ध्यान में रखते हुए कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। लेकिन इसका कारण क्या है। जानते हैं भद्रा और भद्राकाल के अशुभता के बारे में।
भद्रा काल में क्यों नहीं करना चाहिए शुभ कार्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा भगवान सूर्यनारायण की पुत्री और शनिदेव की छोटी बहन है, जिस कारण उनका स्वभाव भी शनिदेव की तरह गुस्सैल है। भद्रा के स्वभाव को नियंत्रण में करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने भद्रा को पंचांग के विशिष्ट अंग में स्थान दिया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य जैसे कि मुंडन, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य आदि करना अशुभ माना जाता है।
Mangal Gochar 2022: मंगल गोचर इन चार राशि के जातकों पर पड़ेगा भारी, संभलकर रहें वरना होगा भारी नुकसान
पंचांग में भद्रा का क्या है महत्व
सनातन हिंदू परंपराओं के अनुसार हिंदू पंचांग के कुल 5 अंग होते हैं। इन पांचों अंगों के नाम इस प्रकार है तिथि, वार, योग, नक्षत्र और कारण। इसमें कारणों की संख्या 11 होती है। इन 11 कारणों में सातवें चरण का नाम ही भद्रा है।
भद्रा का अर्थ है कल्याण करने वाली
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भद्रा का शाब्दिक अर्थ 'कल्याण करने वाली' से है। हालांकि भद्रा अपने शाब्दिक अर्थ से बिल्कुल विपरीत है। इसलिए भद्रा काल में शुभ कार्य करने की सलाह नहीं दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में शुभ कार्य करने से किसी अनहोनी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
Morning Tips: सुबह आंख खुलते ही करें इन मंत्रों का उच्चारण, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, धन दौलत की नहीं होगी कमी
इन राशियों में होता है भद्रा का वास
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृष या मिथुन राशि में होता है तब भद्रा का वह स्वर्ग लोक में होता है। धनु, कन्या, तुला या मकर राशि में जब चंद्रमा का वास होता है तब भद्रा पाताल लोक में वास करती हैं। ऐसी मान्यता है कि भद्रा जिस लोक में रहती हैं उसका प्रभाव उसी लोक में होता है। इसलिए जब भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होता है तो कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।