Ayodhya: अयोध्या में प्रभु श्री राम ने जन्म लिया और यहां का एक-एक स्थान किसी महा तीर्थ से कम नहीं। इस नगरी में कई पौराणिक मंदिर हैं जो भगवान राम की लीलाओं का स्मर्ण कराते हैं। कुछ मंदिर आज भी त्रेतायुग के समय से हैं आज उन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बाताने जा रहे हैं। भगवान राम विष्णु जी के सातवें अवतार हैं और यह नगरी उनको सबसे ज्यादा प्रिय है। अयोध्या में एक मंदिर ऐसा है जो सिर्फ एकादशी के दिन ही खुलता है। यानी पूरे महीने में सिर्फ दो ही बार यह मंदिर खुलता है और मान्यता है कि इसी जगह पर भगवान राम ने अश्वमेघ यज्ञ किया था।
सिर्फ एकादशी के दिन भक्त करते हैं यहां दर्शन
अयोध्या में स्वर्ग द्वार के अंदर भगवान राम का एक मंदिर है जिसे त्रेता के ठाकुर कहते हैं। अयोध्या में राम की पैड़ी के पास ही स्वर्ग द्वार नाम से एक जगह है जहां यह मंदिर है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह सिर्फ एकादशी के दि ही भक्तों के लिए खुलता है और भगवान राम ने त्रेतायुग में अश्वमेघ यज्ञ यहीं किया था। मंदिर के अंदर भगवान राम, देवी सीता, भगवान लक्ष्मण, भगवान हनुमान और अन्य पौराणिक देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। गर्मी के दिनों में इस मंदिर में शाम 5 बजे से लकर 10 बजे तक और सर्दियों में शाम 6 बजे से लकेर 9 बजे तक। यहां एकादशी के दिन दीपक जलाने का महत्व है। मान्यता है कि यहां 74 एकादशी दीपक जलाने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
मंदिर से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें
मंदिर का निर्माण 300 साल पहले हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के राजा ने करवाया था। बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार मराठा रानी अहिल्या बाई होल्कर ने करया था। मंदिर का निर्माण काले पत्थर से किया गया है। त्रेता के ठाकुर मंदिर अयोध्या के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। यहां एकादशी के दिन भक्त लोग भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जो लोग एकादशी के दिन इस मंदिर के दर्शन करते हैं उनके जीवन के सभी कष्ट मिट जाते हैं।
प्राचीन वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है मंदिर
त्रेता के ठाकुर मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय नगर शैली की है। मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में स्थित है। मंदिर का शिखर 100 फीट ऊंचा है। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही आपको एक बड़ा सा प्रांगण मिलेगा। प्रांगण के बीच में एक कुंड है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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