Friday, November 01, 2024
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जब अयोध्या धाम में नहीं हुई थी 1 महीने तक रात, रुका रह गया था सूर्य देव का रथ, रामचरितमानस में बताया गया है यह अद्भुत प्रसंग

भगवान राम की महिमा तो संपूर्ण ब्रह्माण्ड में अद्वितीय है। उनकी एक छवि को देखने के लिए समस्त देवता गण व्याकुल रहते हैं। एक बार ऐसा ही हुआ था, दरअसल अयोध्या नगरी में एक महीने के लिए रात ही नहीं हुई क्योंकि उनके बाल स्वरूप की मनमोहक छवि को देख सूर्य देव अपना रथ चलाना भूल गए थे।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: December 24, 2023 12:32 IST
Ramcharitmanas- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Ramcharitmanas

Ramcharitmanas: अयोध्या नगरी प्रभु श्री राम की पावन जन्मभूमि है। त्रेताकाल में यहां अनेक दवेताओं का आगम हुआ है माना तो यह भी जाता है कि यहां 33 कोटि के देवी-देवाता भी पधार चुके हैं। अब सोचिए जहां प्रभु श्री राम ने जन्म लिया वह भूमि कितनी पावन होगी। बात है भगवान राम के जन्मोत्सव के समय कि जब उनके बाल स्वरूप की छवि देखने के लिए सूर्य देव सहित 33 कोटि के देवी-देवता भी अयोध्या आए थे। जब भगवान राम अयोध्या की धरती पर पधारे थे तो उनके कुल पुरूष सूर्य भगवान अपना रथ लेकर अयोध्या नगरी में प्रस्थान किए थे। आखिर ऐसा क्या हुआ की अयोध्या नगरी में पूरे एक माह के लिए रात ही नहीं हुई आइए जानते हैं ऐसा क्यों हुआ था।

रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या आए सूर्य संग 33 कोटि के देवी-देवता

मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ।

रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ॥

रामचरित मनस की इस चौपाई में तुलसी दास जी ने अवधि भाषा में लिखा है कि महीने भर हो गए यह बात कोई नहीं जान सका। भगवान भास्कर रामलला के मनमोहक बाल स्वरूप को देखते ही रह गए और पूरे एक मीहने बीत गए। रामलला के सुंदर रूप को देख कर भगवान सूर्य देव अपनी सुदभुद खो बैठे और उनकी नजरें श्री राम के सुंदर रूप से एक पल के लिए भी ओझल नहीं हुई और यह बात कोई नहीं जान पाया और देखते ही देखते पूरे एक महीने बीत गए। सूर्य देव खुद नहीं समझ पाए की आखिर ऐसा कैसे हो सकता है।

यह रहस्य काहूँ नहिं जाना। दिनमनि चले करत गुनगाना॥
देखि महोत्सव सुर मुनि नागा। चले भवन बरनत निज भागा॥1॥

यह रहस्य की बात उस समय कोई समझ ही नहीं पाया। भगवान सूर्य देव प्रभु राम का गुणगान करते हुए वहां से अपने लोक चले गए। यह दिव्य महोत्सव देख कर सूर्य देव के रथ के पीछे आए 33 कोटि के देवी-देवता भी देख कर अपने-अपने लोक की ओर चल दिए।

रामलला के दर्शन करने भगवान शिव भी पहुंचे थे अयोध्या

औरउ एक कहउँ निज चोरी। सुनु गिरिजा अति दृढ़ मति तोरी॥
काकभुसुंडि संग हम दोऊ। मनुजरूप जानइ नहिं कोऊ॥2॥

यहां तक कि शिव जी पार्वती जी से कहते हैं कि मैने आपसे एक बात छुपाई है लेकिन आज मैं आपको यह बात बता रहा हूं कि काकभुशिण्डि और मैं दोनों श्री राम के जन्म के समय अयेध्या नगरी में ही थे। लेकिन मनुष्य रूप धारण करने के कारण हम दोनों को सिवाय श्री राम के कोई नहीं पहचान सका। क्योंकि प्रभु राम सब जानते हैं और वह अंतर्यामी हैं

वर्तमान समय में आज यहां सूर्य कुंड मंदिर है

अयोध्या में जिस जगह भगवान सूर्य देव का रथ रुका था वह स्थान वर्तमान समय में श्री राम जन्मभूमि से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर दर्शन नगर में स्थित है। यहां भगवान सूर्य देव का भव्य मंदिर है रविवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है और यहां एक दिव्य सूर्य कुंड भी है जिसकी मान्यता है कि इसमें स्नान करने से कुष्ट रोग मिट जाते हैं और मंदिर परिसर के गर्भ गृह में स्वयंभू(स्वयं प्रकट) सूर्य भगवान की प्रतिमा विराजित है। यहां दर्शन मात्र से अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सूर्य नारायण की असीम कृपा प्राप्त होती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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