Ayodhya Ram Mandir: यह तो हम सब जानते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है। भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ और आज उस जगह राम मंदिर की भव्यता देखी जा सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान राम के जन्म का नाता अयोध्या से भी पहले मखौड़ा धाम से जुड़ा हुआ है। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन आज हम आपको इस दिव्य धाम की महिमा के बारे में बताने जा रहे हैं। आखिर कैसे राजा दशरथ नें पुत्र प्राप्ति की कामना हेतु इस जगह पर यज्ञ का आयोजन करवाया था और किसके कहने पर, यहां जानिए सब कुछ विस्तार पूर्वक।
रामचरितमानस में मिलता है दशरथ जी के यज्ञ का वर्णन
एक बार भूपति मन माहीं। भै गलानि मोरें सुत नाहीं।
गुर गृह गयउ तुरत महिपाला। चरन लागि करि बिनय बिसाला॥
रामचरितमानस के अनुसार दशरथ जी को एकबार चिंता सताई की उनको पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही है। तब वह अपने कुल गुरु वशिष्ट जी के पास यह दुःख लेकर पहुंचे।
निज दुख सुख सब गुरहि सुनायउ। कहि बसिष्ठ बहुबिधि समुझायउ।
धरहु धीर होइहहिं सुत चारी। त्रिभुवन बिदित भगत भय हारी॥
गुरु वशिष्ट जी ने कहा कि आप चिंता न करें आपको 4 पुत्रों की प्राप्ति होगी जो 3 लोकों में महाप्रतापी और प्रसिद्ध होंगे।
सृंगी रिषिहि बसिष्ठ बोलावा। पुत्रकाम सुभ जग्य करावा।
भगति सहित मुनि आहुति दीन्हें। प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें॥
गुरु वशिष्ट जी ने तब श्रृंगी ऋषि को बुलाया और दशरथ जी से कहा आप पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाएं। यह यज्ञ दशरथ जी ने पुत्र प्राप्ति की कामना हेतु वशिष्ट जी के कहने पर श्रृंगी ऋषि से करवाया। यज्ञ में आहुतियां देने से अग्निदेव हाथ में खीर का कलश लेकर प्रकट हुए और कहा इसे आप अपनी तीनों रानियों को बांट-बांट कर खिला दीजिएगा।
दशरथ जी ने तीनों रानियों की खिलाई थी खीर
दशरथ जी ने अपनी तीनों रानियों को अग्नि देवता द्वारा दी हुई खीर खिलाई और वह गर्भवती हो गईं। इस प्रकार कौसल्या मां ने भगवान राम को जन्म दिया, महारानी कैकयी ने भरत को और सुमित्रा माता ने लक्ष्मण और शत्रुघन जी को जन्म दिया।
यहां कराया था राजा दशरथ नें पुत्रकामेष्टी यज्ञ
जिस जगह यह पुत्र कामेष्टी यज्ञ महाराजा दशरथ ने करवाया था। वह स्थान अयोध्या से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पवित्र स्थान मखौड़ा धाम नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में यह उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित है। अयोध्या की 84 कोस परिक्रमा की शुरुआत भी यहीं से की जाती है।
पुत्र कामेष्टी यज्ञ का महत्व
हिंदू धर्म में पुत्र कामेष्टी यज्ञ को एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। इस यज्ञ को पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है। इस यज्ञ के सफलता पूर्वक संपन्न होने पर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र कामेष्टी यज्ञ निःसंतान दंपतियों के लिए आशा की किरण के समान है। इस स्थान का भगवान राम के जन्म से नाता होने के कारण निःसंतान दंपतियां यहां संतान प्राप्ति की कामना लेकर यज्ञ कराने आज भी आते हैं। इस स्थान पर एक यज्ञशाला भी बनी हुई है जहां लोग धार्मिक अनुष्ठान करवाते है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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