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Ayodhya: अयोध्या के इस घाट पर ली थी भगवान राम ने जल समाधि, आज भी बहती है यहां अविरल धारा

भगवान राम ने अयोध्या में जन्म लिया और जीवन के अंतिम पल में जब उनके बैकुंठ लोक जाने का समय आया तो उन्होंने जल समाधि ली थी। अयोध्या में वो पावन जगह कहां है आज हम आपको उसके बारे में सब कुछ विस्तार से बताने जा रहे हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: January 14, 2024 12:25 IST
Ayodhya- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Ayodhya

Ayodhya: अयोध्या धाम भगवान राम की महिमा की कथा गाती है। श्री राम के जन्म से लेकर उनके बैकुंठ धाम जाने की यात्रा तक साक्षी बनी इस नगरी की बहती अविरल सरयू धारा आज भी अयोध्या में विद्यमान है। भगवान राम नें अयोध्या नगरी को जन्म से लेकर अपने बैकुंठ लोक जाने तक के लिए चयनित किया। यह भूमि इसलिए सभी धार्मिक स्थानों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करती है।

रामायण के अनुसार जब भगवान राम रावण का संहार कर के अयोध्या धाम आए थे। तब उन्होंने 11 हजार वर्षों तक अयोध्या का राजपाट संभाला और जब उनके देह त्यागने का समय आया तो वह अयोध्या के इस पवित्र घाट पर आए थे। जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

11 हजार वर्ष तक श्रीराम ने किया था अयोध्या में राज

हत्वा क्रूरं दुराधर्षं देवर्षीणां भयावहम्।

दशवर्षसहस्राणि दशवर्षशतानि च॥
वत्स्यामि मानुषे लोके पालयन् पृथिवीमिमाम्।

वाल्मिकी रामायण में वर्णन मिलता है कि भगवान राम ने जब रावण का वध किया था। तब वह अयोध्या नगरी में अपने 14 वर्ष के वनवास काल को बिता कर लौटे थे। उन्होंने पूरे 11 हजार वर्ष तक अयोध्या नगरी में रह कर यहां का राजपाट संभाला था। 

गुप्तार घाट जहां से श्री राम पहुंचे थे अपने बैकुंठ धाम (अयोध्या)

रामायण के अनुसार जब भगवान राम का देह त्यागने का समय आया तो वह अयोध्या स्थित गुप्तार घाट आए थे। यहां उनके साथ समस्त अयोध्यावासी और जो जीव उनकी लीला में शामिल थे वह भी उनके साथ इस गुप्तार घाट पर पधारे थे। जितने लोग उनके साथ आए थे वह समस्त प्राणी 33 कोटि के देवी देवता थे जो उनकी लीला में सम्मलित होने के लिए प्रथ्वी पर देह धारण कर के अवतरित हुए थे। समय हो चुका था भगवान राम के अयोध्या नगरी से अपने बैकुंठ धाम पधारने का। सबसे पहले उन्होंने अपनी खड़ाऊ उतार कर रखी और गुप्तार घाट के तट के समीप सरयू जल में जाने लगे।

हनुमान जी को कलयुग तक रहने का मिला था आदेश

तब हनुमान जी ने कहा प्रभु आपके बिना में क्या करूंगा मुझे भी अपने साथ ले चलें। तब श्री राम ने हनुमान जी से कहा था हनुमान आपको कलयुग तक रहना है। धर्म का पालन करने वाले भक्तों की आपको कलयुग तक रक्षा करनी है। मैं धर्म की स्थापना के लिए पुनः द्वापर में कृष्ण और कलयुग में क्लिक अवतार में आऊंगा। हनुमान जी ने प्रभु राम की आज्ञा को यहां स्वीकार किया था।

अंतिम क्षण में प्रकट किया था अपना विष्णु रूप

भगवान राम जैसे ही सरयू जल में प्रवेश किए वह अपने साक्षात विष्णु रूप में प्रकट हुए। इस उपरांत ब्रह्मा जी ने उनको प्रणाम किया और 33 कोटि के देवी-देवताओं को उनके उत्तम लोक पुनः प्रदान करने का वचन दिया। इसके बाद श्रीराम सरयू जल में अंतर्ध्यान हो गए और अपने बैकुंठ लोक पधारे। 

राम मंदिर की गुप्तार घाट से लगभग 8 किलोमीटर की है दूरी

भगवान राम के जो भक्त राम मंदिर के दर्शन करने अयोध्या आते हैं वह अंत में इस जगह के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य समझते हैं। शास्त्रों में इस जगह को पृथ्वी का स्वर्ग और भगवान विष्णु का निवास स्थान कहा गया है। यहां लोग सरयू स्नान करते हैं। यहां भगवान राम और मां जानकी का एक प्राचीन मंदिर है। इसके पास पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर, भगवान विष्णु का गुप्तहरि मंदिर, मरी माता का मंदिर, नरसिंह भगवान का मंदिर और पंचमुखी महादेव के प्राचीन मंदिर भी मिलेंगे। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से जीवन के सभी कष्ट मिट जाते हैं और भगवान राम की कृपा इस उत्तम धाम में आकर अवश्य मिलती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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