Ashunya Vrat 2023: अशून्य व्रत चातुर्मास चातुर्मास के प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि को रखने वाला व्रत है। इस बार अशून्य व्रत 30 अक्टूबर 2023 के दिन सोमवार को रखा जाएगा। यह व्रत पत्नियों के लिए पति द्वारा रखा जाता है। जिस तरह करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घ आयु के लिए सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाता है। उसी तरह यह अशून्य व्रत पति द्वारा रखा जाता है। आइये इस व्रत के बारे में आचार्य इंदु प्रकाश से विस्तार में जानते हैं।
अशून्य व्रत में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान
आज अशून्य शयन द्वितीया व्रत है। चातुर्मास के दौरान पड़ने वाले प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को अशून्य शयन व्रत किया जाता है और कार्तिक चातुर्मास के दौरान पड़ने वाला आखिरी महीना है। आपको बता दें कि ये व्रत पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस व्रत को करने से जीवन भर पति-पत्नी का साथ बना रहता है और रिश्तों में मजबूती आती है। दरअसल अशून्य शयन द्वितीया का अर्थ ही होता है कि अकेले न सोना पड़े, यानि लंबे समय तक दोनों का साथ बना रहे। अतः आज के दिन पति इस व्रत को करके अपने जीवनसाथी का साथ सुनिश्चित कर सकता है। आज के दिन अशून्य शयन द्वितीया व्रत में मां लक्ष्मी और श्री विष्णु की पूजा का विधान है। आज पूरा दिन व्रत करके शाम को चन्द्रोदय होने पर, चन्द्रदेव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। आपको बता दूं कि आज चन्द्रोदय शाम 6 बजकर 21 मिनट पर होगा ।
7 जन्मों तक बना रहता है साथ
जिस प्रकार करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। उसी प्रकार यह अशून्य व्रत पति अपनी पत्नी की लंबी आयु के लिए रखते हैं। मान्यात है की जो पति अपनी पत्नी के लिए अशून्य व्रत रखते हैं। उनका साथ 7 जन्मों तक का बना रहता है। यह व्रत दांपत्य जीवन में खुशहाली लाता है। यह व्रत रखने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की साक्षात कृपा बरसती है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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