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Ashtavinayak Mandir: श्री गणेश के वो 8 प्रमुख स्थान जहां वे स्वयं प्रकट हुए, यहां जाने भर से ही मिल जाता है समृद्धि का वरदान

श्री गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूज्यनीय देवता हैं। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान बिना इनकी पूजा के नहीं शुरू होता है। वैसे इनके देश भर में कई सारे मंदिर हैं लेकिन आज हम आपको इनके आठ प्रमुख पावन धामों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें अष्टविनायक मंदिर कहा जाता है।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Dec 06, 2023 8:00 IST, Updated : Dec 06, 2023 8:00 IST
Ashtavinayak Mandir
Image Source : INDIA TV Ashtavinayak Mandir

Ashtavinayak Mandir: विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की दिव्य महिमा कौन नहीं जानता है। आज बुधवार का दिन है इस दिन श्री गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि गणपति महाराज अपने भक्तों को हर प्रकार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद जीवन में देते हैं। इसी के साथ अति ज्ञानी और विवेकवान होने का भी आशीर्वाद इनकी कृपा से प्राप्त होता है। बुधवार के दिन ज्यादातर लोग इनके मंदिर जाकर दर्शन करते हैं। घर में भी बुधवार के दिन लोग इनकी पूजा-पाठ करते हैं जिससे श्री गणेश अपना आशीर्वाद प्रदान करें।

हिंदू धर्म में श्री गणेश किसी भी पूजा में सबसे पहले पूजे जाते हैं। यह वरदान उन्हें भगवान शिव से प्राप्त हुआ था। आइए आज हम आपको उनके 8 प्रमुख मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके दर्शन करने मात्र से ही जीवन की हर प्रकार की परेशानियां मिट जाती हैं और गणेश भगवान की कृपा बरसती है। जिन मंदिरों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं यहां हर प्रतिमा स्वयंभू रूप में विराजमान है। आर्थात इन 8 मंदिरों में श्री गणेश की जो प्रतिमाएं हैं वह स्वयं प्रकट हुई हैं ऐसी इन मंदिरों से जुड़ी मान्यता है। 

अष्टविनायक मंदिर तीर्थ धाम

  1. मयूरेश्वर मंदिर (मोरगांव)- यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के पुणे से लगभग 80-81 किलोमीटर के अंतर्गत मोरगांव में स्थित है। मान्यता है कि इस जगह पर भगवान गणेश ने मोर पर बैठ कर राक्षस सिंधरासुर का वध किया था। इस वजह से इस मंदिर का नाम मयूरेश्वर पड़ गया। मंदिर में चार द्वार हैं जिन्हें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग का प्रतीक माना जाता है। यहां एक नंदी भगवान की भी मूर्ती है। मंदिर में श्री गणेश की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में है, सूंड बाईं तरफ है, चार भुजाएं और उनके तीन नेत्र बताए जाते हैं। 
  2. सिद्धिविनायक मंदिर (सिद्धटेक)- यह मंदिर अहमदनगर में स्थापित है। पूणे से इस मंदिर की दूरी लगभग 190-200 किलोमीटर है। मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 200 वर्ष प्राचीन है। श्री गणेश का यह मंदिर पहाड़ की चोटियों के बीच बना हुआ है।  मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा मे है। माना जाता है कि यहां पर भगवान विष्णु ने सिद्धियां प्राप्त की थी। मंदिर की परिक्रमा करने के लिए पहाड़ों के बीच से होते हुए चलना पड़ता है। यहां जो भक्त आते हैं उनकी हर मनोकामना श्री गणेश पूरी करते हैं। यह श्री गणेश का सिद्ध स्थान है।
  3. बल्लालेश्वर मंदिर (पाली)- यह मंदिर पाली गांव रायगण में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता यह है कि भगवान गणेश के भक्त बल्लाल को उसके परिवार वालों ने श्री गणेश की मूर्ति के साथ जंगल में छोड़ दिया था। जंगल में बल्लाल ने उस समय श्री गणेश को भावुक हो कर याद किया। भगवान गणेश से अपने भक्त की व्यथा देखी न गई और उन्होंने उसे साक्षात दर्शन दिए। इस तरह इस स्थान का नाम बल्लालेश्वर मंदिर पड़ गया। जो भी भक्त यहां दर्शन करने आते हैं उनको बल्लालेश्वर महाराज का आशीर्वाद शीघ्र ही प्राप्त हो जाता है।
  4. वरविनायक मंदिर (महाड़)- महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर शहर के रायगढ़ में यह वरदविनायक मंदिर है। यहां दर्शन करने के लिए जो भी भक्त आते हैं माना जाता है उनको वरविनायक गजानन वरदान देते हैं। एक कथा के अनुसार यह भी मान्यता है कि यहां कई सालों से नंददीप लगातार जलता आ रहा है।
  5. चिंतामणी मंदिर (थेऊर)- मान्यता है कि यहां ब्रह्मा जी ने तपस्या की थी और उनका विचलित मंन शांत हो गया था। यह मंदिर थेऊर गांव के पास तीन नदियों मुला, मुथा और भीम के संगम के तट पर स्थित है। कहा जाता है जो भी भक्त तनाव या चिंता ग्रस्त होते हैं वो यहां के एक अगर एकबार दर्शन कर लेते हैं तो उनकी सारी उलझनें दूर हो जाती हैं।
  6. गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर (लेण्याद्री)- यह पावन धाम भगवान गणेश के प्रमुख आठ सिद्ध अष्टविनायकों में से एक है। यह मंदिर लेण्याद्री गांव में स्थित है। पूणे से यह मंदिर लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। लोण्याद्री पहाड़ों पर यह मंदिर स्थित है। यह सिद्धि स्थान भक्तों के सभी मनोरथों को पूरा करने वाला है। मंदिर में दर्शन हेतु जाने के लिए लगभग 300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।
  7. विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर(ओझर)- यह मंदिर पूणे से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर ओझर में स्थित है। पैराणिक मान्यता है कि विघनासुर नाम का राक्षस था जिसके आतंक से संत परेशान रहते थे। वो इन संतो की तपस्या में अड़चने डालता था। इसी स्थान पर भगवान गणेश ने इस असुर का वध किया था और संतों को उसके आतंक से मुक्त कराया था। इसलिए इस स्थान का नाम विघ्नेश्वर पड़ गया जो विघ्नो को हरने वाले श्री गणपति हैं। यहां जो भी भक्त दर्शन करने आते हैं उन पर गजनान अपनी ऐसी कृपा करते हैं कि उसके सभी विघ्न जीवन में समाप्त हो जाते हैं।
  8. महागणपति मंदिर(रांजणगांव)- अष्टविनायक मंदिरों में से यह भगवान गणेश का सबसे प्राचीन मंदिर है। माना जाता है की यह मंदिर 9-10वीं सदी पुराना है। इस मंदिर में श्री गणेश की प्रतिमा को माहोतक कहते हैं। श्री गणेश का यह मंदिर रांजणगांव के पुणे जिले में स्थित है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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