Aja Ekadashi: अजा एकादशी का व्रत हर वर्ष भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साल 2024 में अजा एकादशी का व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा। मान्यताओं के अनुसार अजा एकादशी का व्रत रखने से आपके जीवन के सभी पाप मिट जाते हैं और अंत समय में आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल अजा एकादशी के दिन 3 शुभ योग भी बनने जा रहे हैं। आइए ऐसे में जान लेते हैं अजा एकादशी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।
अजा एकादशी शुभ योग
साल 2024 में अजा एकादशी का व्रत गुरुवार के दिन रखा जाएगा, इस दिन पड़ने वाली एकादशी को बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही अजा एकादशी के दिन सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि नामक शुभ योग भी हैं। इन शुभ योगों में भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से आपको सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शुभ पूजा मुहूर्त
वैसे तो आपको अजा एकादशी के दिन किसी भी वक्त भगवान विष्णु का ध्यान कर सकते हैं, लेकिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक माना जाएगा। इस दौरान विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी। अगर आप व्रत रखने वाले हैं तो आपको इसका पारण 30 अगस्त की सुबह करना चाहिए, क्योंकि एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि में करना ही शुभ माना जाता है।
अजा एकादशी व्रत विधि
इस दिन व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि के बाद पूजा स्थल को भी साफ करें, पूजन करने से पहले पूजा स्थल पर गंगाजल की कुछ बूंदें आप छिड़क सकते हैं। इसके बा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्तियों या तस्वीरों को पूजा स्थल पर रखें और पूजा शुरू करें। पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के मंत्रों और नारायण स्तोत्र का जप आपको करना चाहिए। भगवान को प्रसाद, नारियल, जल, तुलसी, फल और फूल भी पूजा के दौरान अवश्य अर्पित करें। पूजा के अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती आपको गानी चाहिए। अगले दिन द्वादशी पर पूजा के बाद पारण करें। द्वादशी पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देनी चाहिए और उसके बाद ही भोजन ग्रहण आपको करना चाहिए।
अजा एकादशी महत्व
अजा एकादशी को हिंदू धर्म में बेहद शुभ दिन माना जाता है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं और उसे भगवान विष्णु के वैकुण्ठ धाम में भक्तों को स्थान मिलता है। व्रत करने वाला व्यक्ति संसार की मोह माया के बंधनों से भी मुक्त होता है और उसके अंदर बुराइयाँ समाप्त हो जाती हैं। इस दिन व्रत करने वाले को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और मांस-मदिरा, चावल, जौ, लहसुन, मसूर और प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-
सितंबर में इन ग्रहों की बदलेगी चाल, ये 5 राशियां पाएंगी मनचाहे परिणाम, आर्थिक स्थिति होगी मजबूत