Chanakya Niti: भारत के इतिहास के पन्नों पर महान दार्शनिक गुरु चाणक्य का नाम कौन नहीं जानता। अधिकतर जितने भी लोग सफल हुए हैं उन्होंने चाणक्य की नीतियों के राज को समझा है या उन नीतियों से अपने स्वयं के जीवन का मार्गदर्शन किया है। चाणक्य ने अकेले दम पर पूरा मौर्य वंश स्थापित किया था। उनकी कूटनीतियों को बड़े-बड़े लीडर भी फॉलों करते हैं। वैसे तो उन्होनें कई सारी नीतियों से बहुत सी बातें बताई हैं।
लेकिन आज हम आपको उनकी एक नीति के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमें उन्होनें कुछ जगह पर रहने के बारे में बताया है। चाणक्य ने सुझाव दिया है कि समय रहते ही शीघ्र ऐसी जगह का त्याग कर देने में ही भलाई है और जीवन की सफलता का मूल मंत्र भी इसी के त्याग करने में छिपा है। आखिर वो कौन सी जगह है जिसे तुरंत छोड़ देना चाहिए और सफल होने के लिए किस जगह पर निवास करना चाहिए। आइए जानते हैं इस पर चाणक्य की नीति क्या कहती है।
चाणक्य की नीति इस प्रकार से
यस्मिन्देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः । न च विद्यागमः कश्चित्तं देशं परिवर्जयेत्
चाणक्य की नीति के अनुसार वो कहते हैं कि जिस जगह आदर-सत्कार न हो। उस जगह को त्याग देना चाहिए, जहां रोजगार न मिले वहां नहीं रहना चाहिए, जिस जगह कोई मित्र, साथी या परिवार के लोग नहीं रहते हों। वहां से भी चले जाना चाहिए। आगे चाणक्य सबसे बड़ी बात बताते हुए कहते हैं कि जहां विद्या अर्जित करने का संसाधन न हों उस जगह का भी त्याग कर देना चाहिए। उनका कहना है कि जहां ये चीजें न हों वहां मनुष्य के रहने का क्या मतलब।
इन जगहों पर रहने से रुकती है सफलता
उनके कहने का अर्थ यह है कि जहां रोजगार या व्यवसाय की व्यवस्था न हो। तो ऐसी जगह रहने के लिए चुननी चाहिए जहां ये साधन हों क्योंकि बिन पेट भरे न तो खुद का जीवन यापन किया जा सकता है और न ही परिवार का भरण पोषण। मित्र, रिश्तेदार या कोई सहायक जहां न रहता हो वहां विपत्ति आने पर आप किसी का सहारा नहीं ले सकते। क्योंकि वहां भला कौन आपकी मदद करेगा? रही बात विद्या की तो अच्छी शिक्षा से व्यक्ति का अच्छा आचरण और बच्चों का भविष्य बनाया जा सकता है। जहां विद्या भी न हो तो उस जगह अपने बच्चों की शिक्षा और दिक्षा को कैसे पूरा किया जा सकता है। ऐसी जगह रहने से बच्चे बिना शिक्षा के रह जाएंगे। इसलिए उनका कहना है कि जहां पर ये सारे संसाधन न हों वहां रहना उचित नहीं है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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