हिंदू धर्म में सभी त्योहार को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। हर व्रत और हर त्यौहार की अपनी कहानी है, जो अपने आप में विशेष और महत्वपूर्ण है। हमारे देश में अमावस्या और पूर्णिमा को भी बहुत ख़ास माना जाता है। आश्विन महीने की इस पूर्णिमा को ‘शरद पूनम’ या ‘रास पूर्णिमा’ भी कहते हैं, जो कि शरद ऋतु के आने का संकेत है। इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर यानी की शनिवार के दिन पड़ रही है। इस दिन सभी महिलाएं भगवान चंद्र देव की पूजा कर व्रत रखती हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं।
पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का साया
इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर यानी की शनिवार के दिन पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा के दिन ग्रहण का साया मंडरा रहा है। ऐसे में लोग असमंजस में हैं कि खीर बनाए या नहीं। अगर बनाया जाए तो उसे खुले आकाश में कब रखें। आप सोच रहे होंगे कि खीर को खुले आकाश में क्यों रखते हैं तो चलिए इसके पीछे की वजह हम आपको बताते हैं।
क्यों खुले आकाश में रखा जाता है खीर?
शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर और मन को शुद्ध करके एक पॉजिटिव ऊर्जा प्रदान करते हैं । दरअसल इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक होता है, जिसके चलते चंद्रमा की रोशनी का और उसमें मौजूद तत्वों का सीधा और पॉजिटिव असर पृथ्वी पर पड़ता है और ये तो आप जानते ही हैं- ‘चन्द्रमा मनसो जातः’। । । चन्द्रमा मन का कारक है । जब चन्द्रमा पृथ्वी के नजदीक होगा, तो जाहिर सी बात है कि ये हमारे मन पर और भी अधिक प्रभाव डालेगा। इसलिए खीर को भी आकाश के नीचे खुले में रखा जाता है ताकि हम पर पूरी तरह से सकारात्मक असर हो। लेकिन इस बार ग्रहण की वजह से खीर को अपनी छत पर खुले आकाश के नीच रखना बेहतर विकल्प नहीं है।
इस दिन छत पर रखें खीर
शरद पूर्णिमा के दिन अगर आप खीर बनाकर छत पर रखते हैं तो वह खीर आपके लिए सकारात्मक औषधीय ऊर्जा की बजाय नेगेटिव ऊर्जा लेकर आएगा और पूरी तरह से दूषित हो जाएगी। ये दूषित खीर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। ऐसे में आप 27 की रात में खीर बनाएं और 28 अक्टूबर यानी की शरद पूर्णिमा की सुबह खीर को चांद की रोशनी में रख दें। चंद्रास्त के बाद आप उस खीर को खाएं। ऐसा करने से खीर दूषित भी नहीं होगी और उसे औषधियुक्त रोशनी प्राप्त हो जाएगी।