Chankaya Niti: आचार्य चाणक्य का नाम सुनते ही बुद्धिमता और ज्ञान जैसे शब्द ध्यान आ जाते हैं। आना भी स्वभाविक है क्योंकि चाणक्य प्रबल बुद्धि के नीति शास्त्र के जानकार माने जाते हैं। उनके चाहने वाले आज भी उनकी नीतियों को पढ़ते हैं और जीवन की कठिनाइयों को हल करने का समाधान उसमें से ढूंढने का प्रयास करते हैं। भले चाणक्य आज जीवित नहीं हैं परंतु उनकी लिखी हुई नीतियां आज भी हमारे बीच हैं। चाणक्य ने अपनी नीति में 2 ऐसी चीजों के बारे में बताया है जिसका मनुष्य को त्याग कर देना चाहिए तभी वह जीवन में सफल बन सकता है। आखिर वो 2 चीजें कौन सी हैं जिसका जिक्र चाणक्य ने अपनी नीति में किया है आइए जानते हैं।
चाणक्य की नीति इस प्रकार से-
गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत्।
वर्तमानेन कालेन वर्तयन्ति विचक्षणाः॥
आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि मनुष्य को बीत गई बातों का दुःख या शोक नहीं करना चाहिए, न ही निकट भविष्य की चिंता करनी चाहिए। बुद्धिमान व्यक्ति वर्तमान में जीते हैं और उसी के अनुसार कार्य करते हैं। वह कहते हैं बीती हुई बात का दुःख करने से कोई लाभ नहीं होता है और भविष्य में क्या होने वाला है इसकी भी चिंता करना व्यर्थ ही है। इन दो कारणों से मनुष्य अपना आने वाला भविष्य बर्बाद कर देता है और उसके हाथ कभी भी सफलता नहीं लगती है। जो लोग बुद्धिमान होते हैं वह वर्तमान के अनुसार अपना कार्य करते हैं और आगे चलकर निश्चित ही सफल बनते हैं।
चाणक्य यह समझाना चाहते हैं कि बीती हुई बात का शोक नहीं करना चाहिए। वह हमारे धैर्य को समाप्त करता है। शोक से सब कुछ नष्ट हो जाता है। शोक मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। व्यक्ति को कभी भी भविष्य की चिंता और उस पर विश्चवास नहीं करना चाहिए भले आप यह जानते हों की वह कितना उज्जवल है। यदि वाकई आप सफल होना चाहते हैं तो वर्तमान समय में जीना सीखिए और उसी के अनुसार अपना कार्य करिए तभी आप जीवन में सफल हो पाएंगे। क्योंकि शोक और चिंता से घिरा व्यक्ति अंधकार में डूबा हुआ ही होता है। सफल होना है तो आज के अनुसार कार्य नियोजित करें और उस में जी जान लगा कर जुट जाएं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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