Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को कौटिल्य, विष्णु गुप्त और वात्साय नाम से भी जाना जाता है। आचार्य चाणक्य भारतवर्ष की भूमि के एक महान सलाहकार, शिक्षक और ऐक दार्शनिक गुरु माने जाते हैं। चाणक्य ने अपने जीवन में कई सारी नीतियों के बारे में बाताया है, जिन्हें लोग यदि आज भी पालन करें, तो वह अपने मार्ग में सफलता पा सकते हैं।
चाणक्य अपनी नीतियों के दम पर एक साधारण बालक से महान सम्राट बने और मौर्य वंश को स्थापित किया। चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि दुष्ट लोगों से अच्छा तो सांप होता है। लेकिन चाणक्य ने ऐसे क्यों कहा आइये जानते हैं।
दुष्ट व्यक्ति से ज्यादा बहतर है सांप
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः। सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे पदे॥
आचार्य चाणक्य अपनी नीति में एक श्लोक के माध्यम से यह बताते हैं कि, दुष्ट प्राणी और सांप में यदि तुलना की जाए, तो इन दोनों में सांप श्रेष्ठ है, दुष्ट व्यक्ति बिल्कुल भी नहीं। वो ऐसा इसलिए कहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि, सांप समय आने पर काटता है। लेकिन दुष्ट व्यक्ति तो हर बार काटते रहते हैं, बार-बार पीठ पीछे बुराई करते रहते हैं और उन पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। इस नीति के अनुसार उनका कहने का यह अर्थ है कि, दुष्ट और सांप में सबसे अच्छा सांप है क्योंकि वह काल आने पर ही काटता है। जबकी दुष्ट व्यक्ति का कोई भरोसा नहीं वो कब और कहां हानि पहुंचा दे। उनकी नीति यह बताती है कि दुष्ट व्यक्ति सामने से मीठा बोलते हैं और अंदर से उनके मन में जहर उगलता रहता है। जो सांप के विष से कई अधिक जहरीला होता है। ऐसे लोगों का साथ तुरंत त्याग देना चाहिए और इनसे मित्रता कभी नहीं करनी चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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