Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में काफी कुछ लिखा है। उनके द्वारा बताई गई हर एक नीति मनुष्य को जीवन में लक्ष्य पाने के लिए प्रेरित करती हैं। भले ही इनकी नीतियां आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। अगर आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार पर गौर किया जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन में जरूर सफलता हासिल कर सकता है। ऐसे में आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने सुख-शांति के बारे में बताया है। दरअसल, चाणक्य जी कहते हैं कि असली सुख-शांति धन के पीधे भागने में नहीं है बल्कि इस काम को करने से मिलती हैं। आइए जानते हैं।
श्लोक
सन्तोषामृततृप्तानां यत्सुखं शान्तिरेव च।
न च तद्धनलुब्धानामितश्चेतश्च धावाताम्॥
भावार्थ :
संतोष के अमृत से तृप्त व्यक्तियों को जो सुख और शान्ति मिलता है, वह सुख- शान्ति धन के पीछे इधर-उधर भागनेवालों को नहीं मिलती
आचार्य चाणक्य के इस कथन के मुताबिक, आज के समय में लोग धन के पीछे इस कदर भागते हैं कि उसे पाने की चाहत में घर-परिवार तक को छोड़ दिया है। यहीं आदत उनके निजी जीवन की तबाही का कारण बनती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह धन कमाने के लिए इस कदर से पागल हो जाते हैं कि वह अपने आसपास मौजूद हर एक चीज को अनदेखा कर देते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में वहीं व्यक्ति आगे बढ़ता है और सफल हो पाता है जिसके पास संतोष हो। यदि किसी के पास संतोष होगा तो वो हर एक चीज के पीछे नहीं भागेगा बल्कि वह अपने आसपास मौजूद चीजों को समझने के साथ जरूरते भी पूरी करेगा। इसलिए चाणक्य जी कहते हैं कि धन के पीछे भागने वाले इंसान से कहीं ज्यादा खुश वह रहता है जिसके पास जीवन जीने के पर्याप्त संसाधनों के बाद संतोष भी हो।
डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।
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