Chanakya Niti: चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि वे अपने समय के लोकप्रिय विद्वानों में से एक थे। चाणक्य की शिक्षाएं जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं। यही कारण है कि इतने बरस बीत जाने के बाद भी चाणक्य की शिक्षाएं प्रासंगिक बनी हुई है। चाणक्य नीति के अनुसार बदनामी मनुष्य का सबसे अधिक नुकसान करती है। इससे बचने के लिए इन कुछ गुणों को अपनाना होगा और ये काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए।
न बुराई करें न सुनें
चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति दूसरों की बुराई करता है और उसे सुनने में व्यस्त रहता है, वो बहुत जल्दी बदनाम होता है। निंदा नकारात्मक है। ये अवगुण है। इससे किसी का कभी भला नहीं होता है। शास्त्रों में इसे निंदा रस भी कहा गया है। यानी समय रहते यदि इस पर ध्यान न दिया जाए तो व्यक्ति को इसमें आनंद आने लगता है, लेकिन ये आनंद उसके लिए कब घातक हो जाता है, इसका पता उसे स्वयं भी नहीं चलता है। इसलिए निंदा से दूर रहना चाहिए। निंदा करने और सुनने वाले दोनों को ही अच्छा नहीं माना गया है।
नकारात्मक लोगों से रहें दूर
चाणक्य कहते है कि व्यक्ति को हर प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए। इस तरह के लोग खुद तो बदनाम होते हैं सतह ही आपको भी बदनाम कर देते हैं। नकारात्मक ऊर्जा और विचार व्यक्ति की क्षमता, प्रतिभा और कुशलता इन तीनों का ही नाश करती है। साथ ही व्यक्ति का जीवन मुसीबत और संकट से घिर जाता है। इससे दूर रहने का प्रयत्न करना चाहिए। व्यक्ति को सदैव सकारात्मक रहने का प्रयास करना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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