Chanakya Niti: भारत के महान दार्शनिक गुरु कहलाय जाते हैं आचार्य चाणक्य। इनकी नीतियों ने मानव जीवन को एक नई दिशा दी है। अक्सर लोग सफलता के लिए चाणक्य की नीति को अपने जीवन में अपनाते हैं। चाणक्य ने मानव हित के लिए कई सारी बातें अपनी नीति में बताई हैं और उनके जीवन को सुधारने कि लिए अनमोल सुझाव भी दिए हैं।
आपने अक्सर सुना होगा जो व्यक्ति लालच करते हैं और जिनकी आदत मांगने कि होती है उनसे हर कोई अपना पीछा छुड़ाना चाहता है। ऐसे लोगों की तुलना चाणक्य ने रुई से भी हल्की की है। आइए जानते हैं उन्होंने अपनी नीति में इस तरह के लोगों के बारे में आगे क्या बताया है।
चाणक्य की नीति इस प्रकार से-
तृण लघु तृणात्तूलं तूलादपि च याचकः।
वायुना किं न नीतोअ्सौ मामयं याचयिष्यति।।
आचार्य चाणक्य अपनी इस नीति में कहते हैं कि तिनका बहुत हल्का होता है और उससे भी हल्की होती है रुई। वहीं रुई से भी हल्का चाणक्य ने मांगने वाले व्यक्ति को बताया है। अगर मांगने वाला रुई से इतना ही हल्का होता है तो हवा क्यों नहीं उसे उड़ाकर ले जाती है। इसके पीछे छिपा है मांगने वाला स्वभाव, अगर हवा मांगने वाले व्यक्ति को उड़ा कर ले जाएगी, तो उसे इस बात का डर है कि कहीं ये भी मुझ से कुछ मांग न ले। यही सोच कर हवा पीछे हट जाती है।
व्यक्ति की इस एक आदत से लोग रहते हैं उससे दूर
चाणक्य अपनी इस नीति से यही समझाने की कोशिश करते हैं और कहते हैं कि तृण यानी तिनका संसार में सबसे हल्का होता है, तिनके से हल्की रुई होती है और रुई से ज्यादा हल्का मांगने वाला याचक होता है। सवाल ऐसे में यह खड़ा होता है कि यदि मांगने वाला रुई से हल्का है तो हवा क्यों नहीं उसे रुई की तरह उड़ाकर ले जाती है? ऐसा इसलिए है क्योंकि हवा भी मांगने वाले से घबराती है कि कहीं मैं इसके पास गई तो यह मुझसे कुछ मांग न ले। इस भय से वह उसे उड़ा कर नहीं ले जाती है।
आखिरी में निराशा लगती है हाथ
कुल मिलाकर चाणक्य यहां पर यही समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि किसी से कुछ मांगना सबसे अच्छी आदत नहीं होती। जो व्यक्ति दूसरों से कुछ न कुछ मांगते रहते हैं उनसे हर कोई दूरी बना लेता है। मांगने वाले व्यक्ति के हाथ कुछ भी नहीं लगता है, कहते भी हैं "बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख", मतलब मांगने वाले व्यक्ति के हाथों कुछ भी नहीं लगता है। बिना मांगे उसे जीवन में सब कुछ मिल जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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