राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा शहर ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यहां के विवेकानंद चौक पर श्री विवेकानंद मित्र परिषद द्वारा शुरू की गई प्रतिदिन दो समय राष्ट्रगान, ध्वजारोहण और ध्वज अवतरण की परंपरा ने वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया है। यह सम्मान 26 जनवरी 2019 से निरंतर निभाई जा रही इस अनुकरणीय परंपरा को दिया गया है।
कैसे विश्व रिकॉर्ड बनी यह परंपरा?
शहर में हर दिन सुबह साढ़े 8 बजे तय समय पर ध्वजारोहण किया जाता है। इसके साथ ही राष्ट्रगान का आयोजन होता है। शाम को ध्वज अवतरण का आयोजन सर्दियों में सवा 5 बजे और गर्मियों में सवा 6 बजे बिगुल वादन के साथ किया जाता है। यह कार्य बिना किसी अवकाश के पिछले पांच वर्षों से लगातार चल रहा है। इस निरंतरता और राष्ट्रप्रेम की भावना को देखते हुए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इसे मान्यता दी है।
सम्मान समारोह
इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में विवेकानंद चौक पर राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामकृष्ण परमहंस मिशन, खेतड़ी के संत स्वामी प्रशांतानंद महाराज ने वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से प्रमाण पत्र और मेडल संस्था के सदस्यों को भेंट किया। उन्होंने इस अद्वितीय कार्य के लिए परिषद को बधाई दी और इसे राष्ट्रप्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।
दुनिया में अनोखा उदाहरण
श्री विवेकानंद मित्र परिषद ने इस परंपरा को बनाए रखने के लिए अथक प्रयास किए हैं। संस्था के सदस्यों का कहना है कि यह न केवल उनके लिए गर्व की बात है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा है। परिषद के संयोजक ने बताया कि राष्ट्रगान और ध्वज से जुड़ी इस परंपरा को शुरू करने का उद्देश्य समाज में देशभक्ति की भावना को जीवित रखना और युवाओं को प्रेरित करना था।
चिड़ावा दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर बन गया है, जहां प्रतिदिन नियमित रूप से सुबह और शाम ध्वजारोहण व ध्वज अवतरण के साथ राष्ट्रगान किया जाता है। इस पहल ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चिड़ावा का नाम रोशन किया है।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
इस उपलब्धि पर चिड़ावा के नागरिकों ने भी हर्ष व्यक्त किया। लोगों का कहना है कि यह शहर के लिए गर्व का पल है। यह परंपरा न केवल देशप्रेम को मजबूत करती है, बल्कि इसे विश्व रिकॉर्ड में शामिल होना चिड़ावा की ऐतिहासिक पहचान बनाता है।
भविष्य की योजनाएं-
परिषद ने इस परंपरा को और व्यापक रूप देने की योजना बनाई है। इसके तहत अन्य शहरों और संस्थानों को भी प्रेरित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। साथ ही इस परंपरा के माध्यम से युवाओं को देशप्रेम और अनुशासन के महत्व को समझाने का प्रयास किया जाएगा। यह उपलब्धि चिड़ावा और पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है, जो दिखाती है कि छोटे शहर भी बड़े बदलाव और प्रेरणा का केंद्र बन सकते हैं।
(रिपोर्ट- अमित शर्मा)
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