Sunday, December 22, 2024
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EXCLUSIVE: राजस्थान में बड़े पैमाने पर बर्बाद हो रहे हैं कोरोना के टीके, पाली के हेल्थ सेंटर में कूड़े में मिलीं वायल्स

कोरोना वायरस के जिस वैक्सीन की आज देश को सबसे ज्यादा जरुरत है वो वैक्सीन कूड़े में फेंकी जा रही है। जिस वैक्सीन से किसी की जान बच सकती है उस वैक्सीन के भरे हुए वायल जमीन में 12 फीट नीचे दबाए जा रहे हैं।

Reported by: Manish Bhattacharya @Manish_IndiaTV
Published : June 03, 2021 21:46 IST
Shocking wastage of Covid vaccine in Rajasthan, vials found dumped in garbage bin
Image Source : INDIA TV कोरोना वायरस के जिस वैक्सीन की आज देश को सबसे ज्यादा जरुरत है वो वैक्सीन कूड़े में फेंकी जा रही है।

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के जिस वैक्सीन की आज देश को सबसे ज्यादा जरुरत है वो वैक्सीन कूड़े में फेंकी जा रही है। जिस वैक्सीन से किसी की जान बच सकती है उस वैक्सीन के भरे हुए वायल जमीन में 12 फीट नीचे दबाए जा रहे हैं। इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने ये कड़वा सच कैमरे में कैद किया है। वैक्सीन की सबसे ज्यादा बर्बादी की रिपोर्ट राजस्थान से आई है। इंडिया टीवी रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य ने इस बर्बादी के सबूत अपनी आंखों से देखे, वैक्सीन को डस्टबिन में फेंके जाने की बात को अफसरों से कन्फर्म करवाया। बता दें कि एक दैनिक अखबार ने कुछ दिन पहले राजस्थान के 8 जिलों में 25 स्वास्थ्य केंद्रों से कूडे में फेंके गए वैक्सीन के 500 से ज्यादा वायल बरामद किए थे। 

बताया गया कि फेंकी गई शीशियों में 20 परसेंट से लेकर 75 परसेंट तक वैक्सीन भरी हुई थी। करीब ढाई हजार लोगों को ये वैक्सीन लग सकती थी। रिपोर्टर्स ने बताया कि चुरु में 39 परसेंट वेस्टेज देखने को मिली, हनुमानगड़ में 25 परसेंट, भरतपुर और कोटा में 17 परसेंट वैक्सीन बर्बाद होने के सबूत मिले। रिपोर्टर्स ने बूंदी, दौसा, अजमेर और जयपुर में भी इसी तरह की बर्बादी देखी, कहीं ज्यादा कहीं कम लेकिन राजस्थान के हेल्थ मिनिस्टर रघु शर्मा ने इस रिपोर्ट को तथ्यों से परे और भ्रामक बताया।

हेल्थ मिनिस्टर के बयान के बाद इंडिया टीवी रिपोर्टर्स ने अलग अलग जगह जाकर इसकी तहकीकात की। इंडिया टीवी रिपोर्टर्स को भी वैक्सीन से 80 परसेंट तक भरी वॉयल कचरे के ढेर में मिली। कहीं 12 फीट गहरे गड्डे में वैक्सीन की भरी हुई शीशियों को गाड़ दिया गया था। इंडिया टीवी रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य राजस्थान के पाली जिले में गए जहां कुछ कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स यानी स्वास्थ्य केंद्रों को वैक्सीनेशन सेंटर्स बनाया गया है। 

इन वैक्सीनेशन सेंटर्स पर 18 साल से 44 साल के तक लोगों को टीका लगाने के लिए स्लॉट बुक करना पड़ता है लेकिन 45 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को बिना अप्वाइंटमेंट के टीका लगाया जाता है। मनीष भट्टाचार्य ने पाली में कोट खिराना के कम्युनिटी सेंटर में जो कुछ देखा वो वाकई में हैरान करनेवाला था। यहां हेल्थ सेंटर के डस्टबिन में कोरोना वैक्सीन के वायल्स मिले और इनमें से कई ऐसे वायल्स थे जिनमें वैक्सीन की डोज मौजूद थी। 

इसके बाद मनीष भट्टाचार्य पाली जिले के ही रायपुर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर पहुंचे। इस वैक्सीनेशन सेंटर का भी यही हाल था। यहां भी वैक्सीन के ऐसे कई बायल्स मिले जो आधे भरे हुए थे। इस सेंटर पर लोगों को कोविशील्ड के साथ कोवैक्सीन की डोज़ भी लग रही है इसलिए दोनों वैक्सीन के वायल्स थे। 

हालांकि यहां पर वायल्स कूडदेान में नहीं मिलीं बल्कि इन्हें रखने के लिए एक बॉक्स मौजूद था। कोल्ड प्वाइंट बना था लेकिन जब मनीष ने हेल्थ सेंटर के डॉक्टर्स से पूछा कि आखिर वैक्सीन इस तरह से वेस्ट क्यों हो रही तो डॉक्टर ने जबाव दिया कि वायल खुलने के बाद चार घंटे के अंदर वैक्सीन का इस्तेमाल करना होता है। अगर चार घंटे में दस लोग वैक्सीन लगवाने नहीं आते तो बची हुई वैक्सीन को फेंकना पड़ता है।

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