जयपुर: राजस्थान में सरकार बदलने के बाद अब वित्त (मार्गोपाय) विभाग के शीर्ष अफसरों की करतूत एक-एक कर सामने आ रही है। पिछली गहलोत सरकार ने कर्मचारियों के हित को देखते हुए जो ओल्ड पेंशन स्कीम OPS) लागू की थी उसमें भी वित्त विभाग के आला अफसरों ने बड़ा झोल कर दिया। ओपीएस की घोषणा करने के बाद भी जनवरी 2022 से मार्च 2022 तक कर्मचारियों के एनपीएस अंशदान की कटौती की गई। लेकिन, इस रकम को न तो केंद्र सरकार के एनएसडीएल फंड में जमा करवाया और न ही राजस्थान में कर्मचारियों के लिए खोले गए जीपीएफ खातों में रखा गया। विभाग के अफसरों ने इस पैसे को सामान्य राजस्व मद में जमा करवाकर खर्च कर दिया।
ऐसे हुआ खुलासा
यह खुलासा सीएजी की एक रिपोर्ट के अलावा 15वीं विधानसभा के अंतिम सत्र में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में भी हुआ है। प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने से पहले सरकार ने कर्मचारियों और उसके अनुपात में खुद का अंशदान एनएसडीएल में जमा करवाना बंद कर दिया, जबकि कर्मचारियों के वेतन से यह पैसा काटा गया था। यह रकम 641 करोड़ रुपए है। अब यह राशि न तो एनएसडीएल में जमा हुई न ही सरकार के पास लौटाने के लिए बची है।
चुनाव के दौरान चर्चा में रहा ओपीएस
बता दें कि राजस्थान में सरकार रहने के दौरान कांग्रेस ने ओपीएस को सभी सभाओं में अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनाया। वहीं राहुल गांधी सहित कांग्रेस के अन्य नेता भी चुनाव के दौरान अन्य राज्यों में ओपीएस लागू करने के सपने दिखाए। वहीं अब एक बार फिर से कांग्रेस सरकार की बड़ी उपलब्धियों में शामिल ओपीएस में करोड़ों के घोटाले का मामला सामने आया है। यहां बता दें कि नियमानुसार एनपीएस में कर्मचारियों की कटौती की राशि केंद्र सरकार के एनएसडीएल/जीपीएफ फंड में जमा करवाई जानी थी, लेकिन वित्त विभाग के अफसरों ने इसे खर्च कर दिया।
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