जयपुर: कांग्रेस पार्टी में बगावत करने वाले राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने को लेकर जवाब दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में सचिन पायलट ने साफ तौर पर कहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं होंगे। वहीं, सचिन पायलट ने यह भी कहा कि उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की वापसी कराने के लिए कड़ी मेहनत की है।
हालांकि, अब उनके लिए कांग्रेस पार्टी के रास्ते भी बंद नजर आने लगे हैं। पार्टी से बगावत करने को लेकर कांग्रेस ने उन्हें राजस्थान के उप मुख्यमंत्री पद से हटाने के साथ ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी ने पायलट के सहयोगियों को भी प्रमुख पदों से हटा दिया है। राजस्थान में नए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की नियुक्ति भी कर दी गई है।
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कांग्रेस ने प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष को भी हटा दिया है साथ ही प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के लिए भी नए अध्यक्ष की घोषणा की गई है। वहीं, सचिन पायलट के समर्थन में कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई NSUI के प्रदेश अध्यक्ष ने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। इसके अलावा पार्टी में कई और पदों पर सचिन पायलट के समर्थकों ने त्यागपत्र दिया है।
बता दें कि कांग्रेस आलाकमान के निर्णय के बाद पायलट ने अपने पहले बयान में कहा कि ‘सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं किया जा सकता।’ पायलट के खिलाफ कार्रवाई के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने नयी दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से बातचीत भी की।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पायलट को मनाने का प्रयास किया, लेकिन विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने के बाद उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की कई। पायलट और उनके समर्थक विधायक सोमवार एवं मंगलवार को हुईं कांग्रेस विधायक दल की दोनों बैठकों में नहीं पहुंचे थे।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पायलट के खिलाफ कार्रवाई के फैसले की जानकारी देते हुए कहा था कि गहलोत सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र में पायलट भी शामिल थे। अब ऐसे में कांग्रेस के दरवाजे उनके लिए बंद नजर आ रहे हैं और भाजपा में शामिल होने से उन्हेंने खुद इनकार कर दिया है। हालांकि, आज वह प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाले हैं।
बता दें कि सचिन पायलट ने 10 फरवरी 2002 को अपने पिता राजेश पायलट के 57वें जन्मदिन के मौके पर कांग्रेस पार्टी का ‘पंजा’ थामा था। अब इस पंजे और सचिन पायलट की पकड़ 18 साल बाद ढीली नजर आ रही है। राजनीति में सचिन पायलट की एंट्री के वक्त किसान सभा का आयोजन किया गया था। वहीं से पायलट लोगों के साथ जुड़ते चले गए।
उन्होंने अपना जनाधार तैयार किया, 2 साल पर परिणाम मिला, जनता ने दौसा सीट से पायलट को अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा का पथप्रदान कर दिया था। 26 साल की उम्र में सांसद बनकर पायलट ने भारत के सबसे युवा सांसद होने का तमगा भी हालिस कर लिया था।
2004 से 2008 तक पायलत शांति से सियासत को देखते और समझते रहे। इस दौरान वो पार्टी में अपना कद इतना ऊंचा कर चुके थे कि जब काग्रेस ने 2008 में लगातार दूसरी बार केंद्र में सरकार बनाई तो उन्हें साल 2009 में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया। इसके बाद उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी के साथ प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।