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गहलोत पर खुलकर वार! चुनाव से पहले सचिन पायलट का आया बड़ा बयान, बोले- राजस्थान पर जल्द हो फैसला

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: February 15, 2023 22:31 IST
सचिन पायलट- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सचिन पायलट

राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच बयानबाजी का दौर शुरू है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने एक बार फिर विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने वाले सीएम अशोक गहलोत के खेमे के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 

सचिन पायलट ने कहा कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल (सीलपी) की बैठक में भाग नहीं लेकर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की अहवेलना करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में अत्यधिक विलंब हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है, तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा। 

उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में फैसले लेने में अप्रत्याशित विलंब क्यों हो रहा है। 

बैठक ही नहीं होने दी गई: पायलट

पायलट ने कहा, "विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी। यह बैठक नहीं हो सकी। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई।" उन्होंने कहा कि जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता के लिए नोटिस दिए गए थे। 

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, "मुझे मीडिया के जरिए से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मुझे लगता है कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि निर्णय लेने में इतना ज्यादा विलंब क्यों हो रहा है।" 

81 विधायकों के इस्तीफे मिले: कांग्रेस नेता

पायलट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा हाई कोर्ट में दायर हलफनामे में इसका जिक्र किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। उनके मुताबिक, हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और बाकी को स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। 

उन्होंने कहा कि यह एक कारण था, जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए। पायलट ने इस बात पर जोर दिया, "ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए, क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे, तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था। यह एक ऐसा विषय है जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरुरत है।" 

फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है: पायलट

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, "हम बहुत जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, बजट भी पेश हो चुका है। पार्टी नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बारे में जो भी फैसला करना है वो होना चाहिए, क्योंकि इस साल के आखिर में चुनाव है।" उनके मुताबिक, अगर हर पांच साल पर सरकार बदलने की 25 साल से चली आर रही परंपरा बदलनी है और फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है, तो जल्द फैसला करना होगा। 

पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान में खुद आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं और ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा, ताकि हम लड़ाई के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा, "विधायक दल की बैठक तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी और ऐसे में बैठक नहीं होना पार्टी के निर्देश की अहवेलना थी।" 

गौरतलब है कि प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए गए थे, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायक 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और पार्टी के किसी भी कदम के खिलाफ धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी। 

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