जयपुर: युद्धग्रस्त यूक्रेन देश में राजस्थान के 1008 नागरिकों के फंसे होने की जानकारी राजस्थान सरकार के पास है जिनमें से 207 लोग अब तक वापस आ चुके हैं। इनमें से अधिकांश वहां पढ़ने गए विद्यार्थी हैं। राज्य सरकार की ओर से उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने बुधवार को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी। इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पर हुई चर्चा में सरकार की ओर से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन में फंसे राजस्थानी नागरिकों व छात्र-छात्राओं सकुशल वापस लाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘राजस्थान सरकार यूक्रेन में फंसे राजस्थानी नागरिकों व छात्र-छात्राओं को सकुशल वापस लाने के सतत प्रयास किए जा रहे हैं। इस काम के लिए राजस्थान फाउंडेशन के अध्यक्ष धीरज श्रीवास्तव को नोडल अधिकारी बनाया गया है। अधिकारी विदेश मंत्रालय व यूक्रेन में भारत के दूतावास के लगातार संपर्क में हैं ताकि राजस्थान वासी सुरक्षित वापस लौट सकें।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘अभी तक जो पहचान की गई है, एक हजार से ज्यादा...1008 राजस्थानी वहां फंसे हुए हैं। आज सुबह तक लौटने वालों की गिनती 207 पर पहुंच गई है।’’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वहां फंसे राजस्थान के निवासियों की संख्या अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन सीमा के आसपास के देशों में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों से भी संपर्क किया गया है और वे भी मदद को आगे आए हैं। मंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार ने यूक्रेन से लौटने वाले राजस्थानी नागरिकों का सारा खर्च वहन करने की घोषणा की है। राजस्थान सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। विधायक पुष्पेंद्र सिंह ने स्थगन प्रस्ताव दिया था।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में सक्रियता के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी का धन्यवाद दिया जो यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों की सकुशल वापसी के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में एक मंत्री समूह दिल्ली भेजना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि संपूर्ण राजस्थान व देश अपने बच्चों को वापस लोने को लेकर चिंतित है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ जोशी ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर हम सब, राजस्थान व भारत सरकार सभी इस मामले को लेकर चिंतित हैं और प्रयास कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि युद्ध समाप्त होगा और हमारे बच्चे जो वहां पढ़ने गए हैं वे सुरक्षित वापस आएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि भारत सरकार व राजस्थान सरकार मिलकर सभी अभिभावकों को यह विश्वास दिला सकेगी कि राजस्थान के बच्चें को सुरक्षित लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।’’
(इनपुट- एजेंसी)