राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां राइट टू हेल्थ बिल पारित हुआ है। सदन में इस बिल को लेकर जमकर बहस और हंगामा हुआ। बीजेपी के तमाम विरोध के बीच राज्य सरकार ने बिल पास कर दिया। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने डॉक्टर्स और कुछ बड़े हॉस्पिटलों पर निशाना भी साधा। मंत्री ने कहा- ''प्राइवेट अस्पताल में इलाज के दौरान किसी की मौत हो जाती है तो बिल लेने के बाद ही डेडबॉडी दी जाती है। कई बार बिल इतना ज्यादा होता है कि गरीब आदमी इसे चुकान नहीं पाता।'' मंत्री ने कहा कि जनता ने हमें चुना है इसलिए हमें जनता का पक्ष लेना चाहिए। जयपुर में कई बड़े अस्पताल इलाज के नाम पर चीटिंग करते हैं।
इलाज का खर्च सरकार उठाएगी
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बिल सबकी समहति से सिलेक्ट कमेटी को भेजा था। सबकी सहमति से सिलेक्ट कमेटी ने रिपोर्ट बनाई है। मंत्री ने कहा, '' मूल बिल में इमरजेंसी को लेकर विरोध था। हमने आपने जैसा कहा वैसा किया। आपातकालीन इलाज के लिए डॉक्टर्स से भी बात हुई है। इमरजेंसी इलाज में हमने जानवर के काटने, इमरजेंसी सहित तीन ही चीजें रखी हैं। यह सवाल भी कि इमरजेंसी में इलाज का खर्च कौन उठाएगा, पुनर्भरण कौन करेगा? हमने यह प्रावधान किया है कि सरकार इसका खर्च उठाएगी। इसके लिए फंड बनेगा।
बता दें, आज भी जयपुर में डॉक्टरों ने राइट टू हेल्थ बिल को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया।
कल भी डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।
डॉक्टर्स पर साधा निशाना
स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने बिल पर बहस के जवाब के दौरान प्राइवेट अस्पतालों को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ''गरीब का इलजा नहीं करने पर कोई कितना भी बड़ा हो, हम कार्रवाई करेंगे। डॉक्टर सरकार को डराने की कोशिश ना करें। बता दें बिल के विरोध में सोमवार को डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया था। जिसके बाद उनपर लाठीचार्ज किया गया था। डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्री से मिलना चाहते थे, लेकिन उन्होंने मिलने से मना कर दिया था। जिसको लेकर सदन में विपक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री पर निशाना साधा।