Friday, November 22, 2024
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कर्ज के दलदल में फंसा राजस्थान, कैसे उबरेगी नई सरकार? RBI ने जारी किए आंकड़े

राजस्थान में बीजेपी से कोई भी चेहरा मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें इसके साथ भारी कर्ज की सौगात भी मिलेगी। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान कर्ज के दलदल में बुरी तरह फंस गया है।

Reported By : Manish Bhattacharya Edited By : Malaika Imam Updated on: December 11, 2023 11:53 IST
राजस्थान में बीजेपी को बहुमत- India TV Hindi
Image Source : PTI राजस्थान में बीजेपी को बहुमत

राजस्थान में जनता ने बीजेपी को शानदार जीत दिलाकर राज्य की कमान उनके हाथों में सौंप दी है। अब इस बात पर चर्चा चल रही है कि सूबे का मुख्यमंत्री कौन होगा, जो एक-दो दिनों में तय भी हो जाएगा। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि राजस्थान में बीजेपी से कोई भी चेहरा मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें इसके साथ भारी कर्ज की सौगात भी मिलेगी। आरबीआई ने रिपोर्ट जारी की है जिसके मुताबिक राजस्थान कर्ज के दलदल में बुरी तरह फंस गया है। 

लिमिट से आगे जाकर बाजार से कर्ज लिया

इस हफ्ते प्रदेश के वित्त विभाग को भेजा गया आरबीआई (रिजर्व बैंक) का चेतावनी भरा पत्र इस बात को कह रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग के आला अफसरों ने किस रफ्तार से कर्ज के दलदल में प्रदेश को धकेला है। दरअसल, आरबीआई ने बीती 7 दिसंबर को वित्त विभाग को पत्र लिखकर तय लिमिट से ज्यादा कर्ज नहीं लेने की चेतावनी दी है। इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 और 23-24 की चारों तिमाहियों में राजस्थान को कर्ज की जो लिमिट दी गई थी, उसे नजरअंदाज करते हुए वित्त विभाग के अफसरों ने बाजार के कर्ज उठा लिया। बता दें कि हर साल आरबीआई देश के सभी राज्यों को तिमाही कर्ज लेने की लिमिट जारी करता है। इसमें राजस्थान ने चार तिमाहियों में से तीन में अपनी तय लिमिट से आगे जाकर बाजार से कर्ज लिया है।

राजस्थान का कर्ज बढ़कर 5,37,013 करोड़ रुपये

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से अगस्‍त 2023 तक ही राजस्‍थान सरकार ने 12288 करोड़ रुपये का कर्ज ल‍िया। 2022-23 के दौरान राजस्थान राज्‍य का कर्ज बढ़कर 5,37,013 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। एक साल पहले राजस्‍थान पर कर्ज का बोझ 4,58,089 करोड़ रुपये था, जो क‍ि चुनावी साल में बढ़कर 5,37,013 रुपये हो गया। यानी एक साल में कर्ज का बोझ करीब 18 से 20 फीसदी बढ़ गया। कर्ज की बड़ी वजह सरकारी योजनाओं पर क‍िया गया खर्च भी माना जा रहा है। नई सरकार पर योजनाओं को जारी रखने के साथ ही पहले से बेहतर करने का दबाव रहता है। ऐसे में राज्‍य की आर्थ‍िक स्‍थ‍िति सुधारना बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है। 

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