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राजस्थान में पायलट और वसुंधरा की सबसे ज्यादा चर्चा, पढ़ें अटकलों और सस्पेंस की दिलचस्प कहानी

सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वापस आएंगे या नहीं? पिछले कई महीनों से यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। इस सवाल को लेकर नेताओं की अगली भूमिका पर राजनीतिक फुसफुसाहट बनी हुई है जो वर्तमान में केवल विधायक पदों पर काबिज हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: December 26, 2022 18:04 IST
sachin pilot vasundhara raje- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE PHOTO) सचिन पायलट और वसुंधरा राजे

जयपुर: राजस्थान की राजनीतिक कहानी पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अगली भूमिका को लेकर लगातार अटकलों और सस्पेंस के बीच काफी दिलचस्प हो गई है। वे वापस आएंगे या नहीं? पिछले कई महीनों से यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। इस सवाल को लेकर नेताओं की अगली भूमिका पर राजनीतिक फुसफुसाहट बनी हुई है जो वर्तमान में केवल विधायक पदों पर काबिज हैं।

इस वादे के साथ हुई थी पायलट की वापसी

विधानसभा चुनावों के बाद 2018 में पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था, उनके और 18 अन्य विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह करने के बाद उनके विभागों को छीन लिया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें एक अच्छा पोर्टफोलियो दिए जाने के वादे के साथ पार्टी में वापस लाया गया। तब से, एक संगठन के रूप में कांग्रेस बाद की तारीखें देती रही है, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। कोविड महामारी, अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव, राज्य में बजट आदि के मद्देनजर पायलट के अगले पोर्टफोलियो में देरी हुई है।

क्या पायलट को राज्य का नेतृत्व करने का मौका दिया जाएगा?
जब कांग्रेस आलाकमान ने एक बैठक बुलाई थी और 25 सितंबर को सभी सीएलपी सदस्यों को इस मामले पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था, तो गहलोत खेमे के नेताओं ने अन्य स्थान पर एक समानांतर बैठक बुला ली जहां लगभग 91 विधायकों ने अपने इस्तीफे के साथ पार्टी को धमकी दी थी, जो विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी को सौंपे गए थे। इस सारे ड्रामे के बीच यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या पायलट को राज्य का नेतृत्व करने का मौका दिया जाएगा और यह अटकलें आने वाले महीनों में भी बनी रहेगी क्योंकि पायलट खेमा बार-बार अपनी मांगों को सामने लाता रहा है।

BJP का सीएम उम्मीदवार की घोषणा से इनकार
केवल कांग्रेस के मामले में ही ऐसा नहीं है, विपक्षी भाजपा को भी राजे को दरकिनार किए जाने के साथ इसी तरह की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राजे के समर्थक भी उन्हें अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि पार्टी आलाकमान ने 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए किसी भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने से इनकार कर दिया है।

क्या वसुंधरा वापस आएंगी या उन्हें अलग-थलग रखा जाएगा?
इससे पहले उनके पोस्टर पार्टी कार्यालय के साथ-साथ उपचुनावों के दौरान भी हटाए गए थे। पार्टी पदाधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने निर्देश दिया था कि पोस्टरों पर सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर ही लगाई जाएगी। राजे को उपचुनावों के प्रचार और कई सभाओं से भी नदारद देखा गया है। पोस्टरों में राजे की तस्वीरों की वापसी के लिए भाजपा की जनाक्रोश यात्रा एक मंच बन गई।

एक बार फिर चर्चा है कि क्या वह वापस आएंगी या उन्हें अलग-थलग रखा जाएगा जैसा कि वह गुजरात चुनावों में थीं। गुजरात में स्टार प्रचारकों की सूची में राजे का नाम नहीं था। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि राजे और पायलट चर्चा के बिंदु है। ढेर सारा ड्रामा, एक्शन, सरप्राइस, सस्पेंस, हमला और पलटवार अभी बाकी है।

गद्दार, निक्कमा, नकारा जैसे अपशब्द राजस्थान में राजनीतिक शब्दजाल
इस बार चर्चा के अन्य प्वाइंट भी हैं। पायलट और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ गहलोत द्वारा इस्तेमाल किए गए 'गद्दार', 'निक्कमा', 'नकारा' जैसे अपशब्द राजस्थान में राजनीतिक शब्दजाल बन गए। गहलोत ने शुरुआत में इन शब्दों का इस्तेमाल 2020 में राजनीतिक विद्रोह के दौरान पायलट के खिलाफ किया था। यहां तक कि हाल ही में, गहलोत ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत से पहले पायलट को 'गद्दार' करार दिया था।

गहलोत ने क्यों इस्तेमाल किए कठोर शब्द?
जब भी मुख्यमंत्री ने पायलट के खिलाफ इन शब्दों का इस्तेमाल किया, तो राजनीतिक पंडितों को इसका अर्थ और संकेत समझने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। हाल ही में, जब गहलोत ने भारत जोड़ो यात्रा से पहले पायलट को लेकर कहा कि एक 'गद्दार' मुख्यमंत्री नहीं हो सकता, तो राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि यह आलाकमान को सीधा संदेश था कि वह कभी नहीं चाहेंगे कि पायलट शीर्ष पद पर आसीन हों। दरअसल सवाल उठ रहे हैं कि अपनी सधी हुई भाषा के लिए जाने जाने वाले 'गांधीवादी' मुख्यमंत्री ने अपने डिप्टी सीएम के खिलाफ इन कठोर शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, इन शब्दों का प्रयोग राजनीतिक शब्दजाल की तरह है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के लिए भी ईआरसीपी मामले में निकम्मा का इस्तेमाल किया है और यह मामला अब आगामी चुनावों में एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है।

गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे या पायलट को कमान?
पिछले कई महीनों से राजस्थान की राजनीति चर्चा में है और राजनीतिक हलकों में बड़ा सवाल उठाया जा रहा है कि कौन आगे बढ़कर नेतृत्व करेगा, गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे या फिर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को राज्य का नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। क्या 'गद्दार', 'निकम्मा' और 'नकारा' जैसे और शब्द राज्य को हिला देंगे या 2023 के विधानसभा चुनावों में लौट के आएंगे? ये कुछ सवाल हैं जो वर्तमान में राजनीतिक गलियारों में गूंज रहे हैं।

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