राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अपने चार साल के काम की समीक्षा के लिए जयपुर में चिंतन शिविर आयोजित कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट आज किसान बहुल क्षेत्र नागौर जिले से किसान रैलियों का आगाज कर रहे हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच अनबन किसी से छिपी नहीं है। इसी बीच खबर है कि चिंतन शिविर के बाद गहलोत मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है। जिन मंत्रियों के विभाग कामकाज में फिसड्डी रहे हैं, उन्हें बदला जा सकता है। चुनाव से पहले कुछ और नेताओं को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है।
राजस्थान में मंत्रिमंडल में फेरबदल मंत्रालयों के काम के आधार पर होगा। इसके साथ ही यह बात भी छिपी नहीं है कि मंत्रीमंडल में फेरबदल पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रहे शीतयुद्ध का असर भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता आए दिए एक दूसरे के खिलाफ बयान देने से भी पीछे नहीं हटते हैं।
फिर जब हाईकमान से कोई हिदायत आती है, तो फिर एक होने का दावा करते हैं। हाल ही में राजस्थान पहुंची भारत जोड़ो यात्रा के पहले भी दोनों नेताओं के तेवर देखकर कांग्रेस दंग रह गई थी। लेकिन चूंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बीच एकता का प्रदर्शन करना जरूरी था, लिहाजा मंच पर राहुल गांधी के साथ राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ओर सचिन पायलट एकसाथ एकता दिखाते नजर आए।
यही कारण है कि सचिन पायलट किसान रैली के तहत नागौर में सक्रिय हैं। वे पश्चिमी राजस्थान के 5 जिलों में 20 तारीख तक इसी तरीके से हर दिन एक किसान रैली करेंगे। वहीं दूसरी ओर अशोक गहलोत अपने चार साल की उपलब्धियां राजधानी के चिंतन शिविर में गिना रहे हैं। दोनों नेता अपने अपने दावे और अपने अपने जनाधार को किसान रैली और चिंतन शिविर के माध्यम से बढ़ाने में लगे हैं।
23 जनवरी से होने जा रहा विधानसभा सत्र
पश्चिमी राजस्थान में अपनी रैलियों में भीड़ जुटाकर सचिन पायलट यह दिखाना चाहेंगे कि वह पूरे राजस्थान में और सभी जातियों में लोकप्रिय हैं। खरनाल में तेजाजी मंदिर जाकर सचिन पायलट जाटों का समर्थन हासिल करने की कोशिश करेंगे। क्योंकि जाट समुदाय के लिए तेजाजी आराध्य देवता हैं। राजस्थान में 23 जनवरी से विधानसभा सत्र होने जा रहा है। उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट प्रस्तुत करेंगे।