Highlights
- निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि इस देश का निर्माण गांधी-नेहरू परिवार ने किया है।
- राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार लोढ़ा ने कहा कि वह गांधी-नेहरू परिवार के गुलाम हैं।
- लोढ़ा ने सदन में हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार यूनिवर्सिटी संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान यह बात कही।
जयपुर: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि इस देश का निर्माण गांधी-नेहरू परिवार ने किया है और वह गांधी-नेहरू परिवार के गुलाम हैं। सिरोही से निर्दलीय विधायक व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार लोढ़ा ने सदन में हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार यूनिवर्सिटी संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान यह बात कही। बीजेपी के एक विधायक के टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए लोढ़ा ने कहा, ‘सदन में अभी बीजेपी के विधायक विचार व्यक्त कर रहे थे, तो यह कहा कि ये तो गांधी-नेहरू परिवार के गुलाम हैं। हां, हम हैं गुलाम।’
‘जब तक शरीर में सांस है, तब तक गुलामी करूंगा’
लोढ़ा ने आगे कहा कि जब तक उनके शरीर में सांस है, तब तक गांधी नेहरू परिवार की गुलामी करेंगे क्योंकि इस देश का निर्माण गांधी-नेहरू परिवार ने किया है। उनके इस कथन पर सदन में हंगामा हो गया। बीजेपी विधायक व उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा,‘यह नई संस्कृति आई है। आपको बधाई हो। गुलामी के लिए। ये गुलाम हैं, आप क्या समाज में संदेश देंगे।’ सभापति जेपी चंदेलिया ने वक्ता को ‘तय बिंदु’ पर ही अपनी बात रखने को कहा। विधेयक पारित होने से पहले इसे जनमत जानने के लिए भेजने वाले प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान बीजेपी विधायकों ने हंगामा किया।
हंगामा करते हुए सदन से बाहर चले गए बीजेपी विधायक
बीजेपी ने इस प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग की। सभापति ने ध्वनिमत से ही जनमत जानने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। नाराज बीजेपी विधायकों ने हंगामा करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। सदन में आज हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार यूनिवर्सिटी संशोधन विधेयक तथा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2022 को पारित कर दिया गया। हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार यूनिवर्सिटी संशोधन विधेयक के तहत इस विश्वविद्यालय के कुलपति बनने की योग्यता में संशोधन किया गया है।
जानें, क्या है संशोधित किए गए नए विधेयक में
संशोधन विधेयक के अनुसार चूंकि उक्त यूनिवर्सिटी पूरी तरह से पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र से संबंधित है, इसलिए राज्य सरकार ने यह आवश्यक समझा है कि खोजबीन समिति पत्रकारिता और जनसंचार की किसी भी शाखा में न्यूनतम 20 साल के अनुभव वाले वृत्तिक की सिफारिश कर सकती है।' वहीं राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2022 विश्वविद्यालय के कुलपति की पदावधि की अधिकतम सीमा तय करने तथा विश्वविद्यालय के कुल सचिव की नियुक्ति् भारतीय प्रशासनिक सेवा या राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में से करने के उपबंध के लिए लाया गया है।