Friday, November 22, 2024
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LIVE: राज्यपाल का इतने शॉर्ट नोटिस पर तुरंत विधानसभा सत्र बुलाने से इंकार

हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के​ द्वारा दिए गए नोटिस पर अभी स्टे लगा दिया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष पायलट गुट के विधायकों को फिलहाल अयोग्य करार नहीं दे पाएंगे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 24, 2020 16:03 IST
Rajasthan: Congress MLAs supporting Chief Minister Ashok...- India TV Hindi
Rajasthan: Congress MLAs supporting Chief Minister Ashok Gehlot at Raj Bhawan

राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय के बाद जयपुर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इतने शॉर्ट नोटिस पर तुरंत विधासभा का सत्र बुलाने से इंकार कर दिया है। इससे पहले अशोक गहलोत सोमवार को विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे। जबकि कोरोना संकट को देखते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र सत्र बुलाने के लिए तैयार नहीं दिख रहे थे। वहीं कांग्रेस के कुछ विधायकों ने यह भी कहा है कि वे फ्लोर टेस्ट से पहले कोरोना टेस्ट करवाने के लिए भी तैयार हैं। 

राजभवन में अशोक गहलोत के साथ राज्यपाल से मिलने पहुंचे विधायकों ने अशोक गहलोत के पक्ष में राजभवन में 'अशोक गहलोत तुम संघर्ष करो,हम तुम्हारे साथ है' के नारे भी लगाए। इसके अलावा विधायकों ने तानाशाही नहीं चलेगी के नारे भी लगाए है। 

इससे पहले हाईकोर्ट के फैसले के बाद होटल फेयर माउंट में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। जिसमें विधायकों द्वारा राज्यपाल से मिलने का फैसला किया गया। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल पर असेंबली बुलाने का दबाव बढ़ा दिया है। प्रेस से बातचीत करते हुए गहलोत ने कहा कि हम चाहते है असेम्बली विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। वहीं राज्यपाल की ओर से असेम्बली बुलाने के लिए निर्देश नहीं दिए जा रहे है। उन्होंने कहा कि मैं सभी विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलने जाउंगा। सीएम ने कहा कि अगर राज्य की जनता आक्रोशित होकर राजभवन का घेराव कर लेती है, तो फिर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। 

गहलोत ने कहा कि मैं बार बार कह रहा हूँ हमारे पास स्पष्ट बहुमत है, हमे कोई दिक्कत नही है , इसके बावजूद वो परेशान हो रहे है, हमारेसाथी बंधक बने हुए है, बीजेपी की वजह से सब बंधक बने हुए है, पूरा खेल bjp का षडयंत्र है। भाजपा पर आरोप लगाते हुए गहलोत ने कहा कि भाजपा वही खेल खेल रही है जो उसने कर्नाटक और मध्य प्रदेश में खेला है। इस बीच खबर मिली है कि पायलट खेमा कोर्ट के निर्णय को चर्चा कर रहा है। मुमकिन है कि सचिन पायलट थोड़ी देर में कोर्ट के निर्णय को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करें। 

हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के​ द्वारा दिए गए नोटिस पर अभी स्टे लगा दिया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष पायलट गुट के विधायकों को फिलहाल अयोग्य करार नहीं दे पाएंगे। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और 18 विधायकों की विधानसभा सदस्यता को अयोग्‍य ठहराने को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई हुई।

इससे पहले  सीपी जोशी के वकील प्रतीक कासलीवाल ने कहा है कि रेस्पोंडेंट की एप्लीकेशन कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से आरडी रस्तोगी अपना पक्ष रखेंगे। 15 मिनट के ब्रेक के बाद पता लगेगा क्या रिस्पोंडेंट अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगते हैं या फिर हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। बता दें कि पिछले सप्ताह विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के इस फैसले से राजनीति में भूचाल आ गया था। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की आदालत सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाएगी। 

बता दें कि गुरुवार को ही पायलट गुट की ओर से प्रतिवादियों की सूची में केंद्र सरकार को शामिल करने के लिए कोर्ट में एक अर्जी दी गई है। अगर इस अर्जी पर भी सुनवाई हुई तो फैसला आने में कुछ और वक्त लग सकता है। इससे पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने 24 जुलाई की तारीख मुकर्रर की थी। वहीं गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखने का फैसला सुनाया गया था। 

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यह है मामला

मामला राजस्थान में जारी सियासी संकट से जुड़ा है। पिछले सप्ताह सोमवार और मंगलवार को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की दो बैठकें हुईं। पार्टी ने इस बैठकों के लिए व्हिप जारी किया था। इन दोनों बैठकों में पायलट गुट नदारद रहा। इस व्हिप का उल्लंघन मानते हुए स्पीकर ने इन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी नोटिस जारी किया। दूसरी ओर सचिन पायलट का कहना है कि पार्टी का विप विधानसभा सत्र के चलने के दौरान ही लागू होता है। बैठक के अगले दिन भी नहीं पहुंचने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया गया था।

सचिन पायलट और कांग्रेस के बागी 18 विधायकों ने गुरुवार को प्रतिवादियों की सूची में केंद्र सरकार को शामिल करने के लिए हाईकोर्ट में एक अर्जी दी। यह अर्जी इस आधार पर दाखिल की गयी है कि चूंकि संविधान की दसवीं अनुसूची की वैधता को चुनौती दी गयी है, इसलिए अब इसमें केंद्र को पक्ष बनाना जरूरी है। इससे पूर्व राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष की ओर से जारी अयोग्यता नोटिस को पायलट गुट ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में भी हुई बहस

हाईकोर्ट द्वारा स्पीकर के निर्णय पर सुनवाई के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। इस पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस मामले में स्पीकर की ओर से सर्वोच्च अदालत में जाने- माने वकील कपिल सिब्बल स्पीकर अपना पक्ष रखते हुए हाई कोर्ट के फैसले को गलत साबित करने की कोशिश की। वहीं बागी गुट की ओर से इस मामले में हरीश साल्वे विधायकों का पक्ष रखेंगे, लेकिन पहले राउंड में सिब्बल की ओर से स्पीकर का पक्ष रखा गया है। वहीं हरीश साल्वे अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे। कल की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि असंतोष की आवाज को इस तरह दबाया नहीं जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि जो विधायकों को लेकर बात की जा रही है, उन्हें अपनी बात रखने का हक है, क्योंकि उन्हें जनता ने चुना है।

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