जयपुर: राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने पिछले 5 साल के दौरान राज्य में भर्ती हुए राज्यकर्मियों की आंतरिक विभागीय जांच कराने का फैसला किया है। इसमें जांच की जाएगी कि भर्ती परीक्षा देने वाला और नौकरी करने वाला व्यक्ति एक ही है या अलग-अलग। राज्य के कार्मिक विभाग ने गुरुवार को इस बारे में आदेश जारी किया। कार्मिक भर्ती प्रकोष्ठ विभाग ने विगत पांच वर्षों में भर्ती राज्यकर्मियों की विभागों द्वारा आंतरिक जांच कराने के लिए आदेश जारी किया है।
पिछले 5 साल में सरकारी नौकरी पर लगे कर्मचारी रडार पर
उल्लेखनीय है कि गत पांच साल में राज्य में अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार थी। आदेश के अनुसार, 'राज्य सरकार के ध्यान में लाया गया है कि पिछले 5 सालों में विभिन्न विभागों में की गई भर्तियों में फर्जी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज प्रस्तुत कर एवं डमी उम्मीदवार को परीक्षा में बिठाकर कतिपय अभ्यर्थियों द्वारा सरकारी नौकरियां प्राप्त की गई हैं।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘अतः प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रत्येक विभाग के द्वारा विगत पांच वर्षों में भर्ती किए गए कर्मचारियों के संदर्भ में आन्तरिक कमेटी गठित कर यह जांच कर लें कि परीक्षा देने वाला एवं नौकरी करने वाला लोक सेवक दोनों एक ही व्यक्ति हैं या अलग-अलग।'
लाखों कर्मचारी दायरे में आएंगे
इसमें कहा गया है, 'साथ ही भर्ती किए गए कर्मचारियों के शैक्षणिक पात्रता के दस्तावेज एवं आवेदन के समय प्रस्तुत आवेदन पत्र, फोटो, हस्ताक्षर इत्यादि की भी भली-भांति जांच करवाई जाए।' आदेश में कहा गया है कि जांच के उपरान्त जिन कर्मचारियों की भर्ती के संबंध में सूचनाएं संदिग्ध प्रकट हो, उनकी सूचना एसओजी को उपलब्ध करायी जाये।