जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर गृह विभाग ने 1162 सड़क भिखारियों का सर्वेक्षण किया है, जिसके बाद राजस्थान कौशल और आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) द्वारा एक विशेष कौशल कार्यक्रम तैयार किया गया है। आरएसएलडीसी के अनुसार, कुल सर्वेक्षण में से 898 ने कौशल हासिल करने और एक नए स्तर से जीवन शुरू करने की इच्छा व्यक्त की है। आरएसएलडीसी के चैयरमेन डॉ नीरज के पवन ने बताया कि नई नीति के अनुसार, हमने चयनित उम्मीदवारों को उनकी पसंद के कौशल में प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है, परिणामस्वरूप उन्हें नामित आरएसएलडीसी केंद्रों पर प्रशिक्षण और बाद में प्लेसमेंट में सहायता प्रदान की जाएगी।
गृह विभाग के सर्वेक्षण में पता चला है कि कई भिखारियों ने कॉलेज की शिक्षा ली है, लेकिन गरीबी और अवसरों की कमी के कारण भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसीलिए उन सभी को अधिक प्रयास और परामर्श प्रदान किया जा रहा है। आगे नीरज के पवन बताते है कि "हमारी टीम चयनित उम्मीदवारों की काउंसलिंग के लिए मनोविज्ञान विशेषज्ञों की नियुक्ति कर रही है। क्योंकि आसान पैसे कमाने की दिनचर्या से दूर होने के लिए उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत होना जरूरी है।''
राजस्थान सरकार ने चयनित उम्मीदवारों के लिए व्यक्तिगत रहने की लागत के साथ-साथ कौशल कार्यक्रम के दौरान एक वेतन मुहैया कराया जाएगा। जिसमें न केवल भीख मांगने वालों के लिए, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश देने के लिए पहल चलाई जा रही है।
कौशल कार्यक्रम के दौरान चयनित उम्मीदवारों को एक स्टाइपेंड प्रदान किया जाएगा। साथ में, राजस्थान सरकार द्वारा व्यक्तिगत ठहरने का खर्च भी उठाया जाएगा। यह गहलोत सरकार द्वारा चलाई गई एक अनूठी पहल है जिससे न केवल भीख मांगने वालों के लिए, बल्कि समाज के निम्न स्तर पर जीवनयापन करने वालों को भी सम्मान मिलेगा।
बता दें कि जयपुर में विभिन्न इच्छुक प्रशिक्षण साझेदारों के साथ एक रणनीतिक बैठक आयोजित की गई है, जहां जयपुर में विभिन्न स्थानों पर 6-8 बैचों का पायलट प्रोजेक्ट संचालित किया जाएगा।