जयपुर: 4 राज्यों की विधानसभा चुनाव नतीजे आने में अब महज 24 घंटे का वक्त बचा है ऐसे में सियासी पार्टियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। इस बार के चुनाव में सबसे रोचक मुकाबला राजस्थान में दिख रहा है। राज और रिवाज का मुकाबला है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार रिवाज बदलने का दावा कर रहे हैं वहीं बीजेपी को भरोसा है कि राजस्थान की जनता ने राज बदलने के लिए इस बार वोट किया है। लेकिन इस बार सवाल ये भी है कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा क्योंकि बीजेपी इस बार राजस्थान में बिना सीएम फेस के मैदान में उतरी है यानी मैदान सभी के लिए खुला हुआ है। लेकिन पार्टी के नेता अभी से इशारों-इशारों में कयास का बाजार गर्म करने में लगे हुए हैं।
राज्यपाल कलराज मिश्र से की मुलाकात
वहीं चुनावों से कुछ महीने पहले एक्टिव हुई पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वोटिंग के बाद भी सुपर एक्टिव हैं। वो पार्टी और संघ नेताओं से मुलाकात कर रही हैं। साथ ही अपने पुराने साथियों को भी साधने की कोशिश में जुटी हैं। वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से भी मुलाकात की। हालांकि ये मुलाकात शिष्टाचार की बताई जा रही है लेकिन सियासत के महारथी इस मुलाकत को भी अपने राजनीति के चश्मे से टटोल रहे हैं।
राजस्थान में बीजेपी का चेहरा कौन?
वसुंधरा के इस तरह एक्टिव होने पर सवाल भी उठ रहे हैं कि-
- क्या पार्टी आला कमान ने वसुंधरा राजे को फ्री हैंड दे दिया है?
- क्या वसुंधरा के सहारे बीजेपी बागियों को मनाना चाहती है?
- क्या एक बार फिर राजस्थान में वसुंधरा ही बीजेपी का चेहरा होंगी?
नतीजों से पहले आए एग्जिट पोल में इस बार भी निर्दलीयों की भूमिका अहम होगी। राजस्थान की 5 दर्जन सीटों पर बागियों ने अपनी पार्टी उम्मीदवारों की हालात खराब कर रखी थी। बीजेपी के 32 बागी नेता हैं और कांग्रेस के 22 बागी नेता इस बार मैदान में थे जिनमें के कई के जीतने की उम्मीद भी है ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गेमप्लान इन निर्दलीयों को लेकर ही है। इसकी पहली झलक तब देखने को मिली जब वसुंधरा राजे ने सांचौर से पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी को फोन कर जन्मदिन की बधाई दी।
बागियों की वापसी की राह बना रही वसुंधरा?
सवाल है कि क्या बीजेपी वसुंधरा राजे के सहारे बागियों की वापसी की राह बना रही है क्योंकि इसकी झलक चुनाव प्रचार के दौरान भी दिखी थी। वसुंधरा ने अपने समर्थक उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार तो किया, पर उन जगहों पर अपनी पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने नहीं गई जहां से उनके समर्थक बागी मैदान में थे। वसुंधरा के समर्थकों की बात करें तो-
- कैलाश मेघवाल कई बार मंत्री और सांसद रह चुके हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से विवाद के बाद पार्टी ने निष्कासित कर दिया लेकिन कैलाश मेघवाल निर्दलीय मैदान में हैं।
- वहीं भवानी सिंह राजावत कोटा की लाडपुरा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार उनका टिकट कटा तो लाडनू से निर्दलीय ताल ठोकी है।
- वहीं यूनुस खान वसुंधरा के सबसे करीबी माने जाते हैं। डीडवाना से इस बार टिकट नहीं मिला तो बागियों की लिस्ट में शामिल हो गए।
- अनीता सिंह नागर भी वसुंधरा की करीबी हैं। पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर वो भी निर्दलीय मैदान में हैं।
- वहीं चित्तौड़गढ़ सीट से मौजूदा विधायक चंद्रपाल सिंह भी टिकट न मिलने पर निर्दलीय ही किस्मत आजमा रहे हैं।
ऐसे कई और चेहरे हैं जो इस बार निर्दलीय चुनाव लड़े हैं और उनके जीतने की संभावना भी ज्यादा है यानी अगर वसुंधरा जीते हुए बागियों को मना लेती हैं तो निश्चित ही उनका पलड़ा भारी होगा।
बाड़ेबंदी में लगे अशोक गहलोत
इस बीच बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बेंगलुरु में दो रिसॉर्ट बुक किए हैं जहां विधायकों की बाड़ेबंदी की जाएगी। वहीं, इस बार राजस्थान में बसपा धोखा खाने के मूड में नहीं है। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है कि इस बार जो भी विधायक जीतकर आएंगे, उनका समर्थन किसी भी पार्टी को बिना शर्त के नहीं दिया जाएगा। जीते हुए विधायकों को मंत्री बनवाया जाएगा और समर्थन भी उसी पार्टी को दिया जाएगा जो सत्ता में बसपा के विधायकों को शामिल करेगी।
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