जयपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कुर्सी की लड़ाई नए मोड़ पर पहुंच गई है। अशोक गहलोत पर वसुंधरा राजे की मदद से अपनी सरकार बचाने के आरोप के बाद अब आज सचिन पायलट ने पदयात्रा शुरू की है। कहने को तो पायलट की ये पदयात्रा राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन के लिए है लेकिन इस यात्रा के निशाने पर सीधे-सीधे अशोक गहलोत हैं। सचिन पायलट आज से अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ जनसंघर्ष पदयात्रा निकाल रहे हैं। पायलट की ये यात्रा अजमेर से शुरू होकर जयपुर तक जाएगी। इस दौरान वह 125 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे।
'गहलोत की नेता सोनिया नहीं, वसुंधरा'
कर्नाटक के एग्जिट पोल में कांग्रेस की सत्ता वापसी का अनुमान लगाया जा रहा है, बंपर जीत के दावे किए जा रहे हैं लेकिन राजस्थान में आपसी कलह से कांग्रेस चुनाव से पहले ही बैकफुट पर है। सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। एक के बाद एक लगातार हमले कर रहे हैं यहां तक कि गहलोत को बीजेपी खेमे का नेता बता चुके हैं।
'अगर बीजेपी से पैसे लिए हैं तो उन्हें लौटा दो'
सचिन पायलट ने गहलोत को वसुंधरा खेमे का नेता बताया तो गहलोत कहां चुप बैठने वाले थे। उन्होंने भी लगे हाथों पायलट पर बीजेपी से रिश्वत लेकर उनकी सरकार को गिराने की साजिश करने का आरोप लगा दिया। पब्लिक रैली में गहलोत ने खुलेआम कह दिया कि अगर बीजेपी से पैसे लिए हैं तो उन्हें लौटा दो और अगर खर्च हो गए हैं तो वो अपनी जेब से या पार्टी से कहकर वो इन पैसों को लौटाने का इंतजाम करवा देंगे।
गहलोत सरकार के खिलाफ पदयात्रा?
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अदावत के इस दौर को अब 4 साल से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। कुछ महीने में राजस्थान में चुनाव होना है लेकिन पायलट और गहलोत के बीच टसल बढता ही जा रहा है और आज इसमें नया चैप्टर जुड़ने जा रहा है। पायलट ने कहा कि उनकी ये पदयात्रा राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ है। वो चाहते हैं कि बीजेपी के कार्यकाल में जो भ्रष्टाचार हुए हैं, उनकी जांच कराई जाए, एक्शन लिया जाए। इसके साथ ही राजस्थान में हाल के दिनों में हुए पेपर लीक कांड पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए।
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पहले अनशन, अब पदयात्रा
बता दें कि पिछले महीने 11 अप्रैल को पायलट ने गहलोत के खिलाफ एक दिन का अनशन किया था और अब आज वो गहलोत के खिलाफ जनसंघर्ष पदयात्रा निकाल रहे हैं। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सत्ता और वर्चस्व की जो जंग छिड़ी है वो आज सचिन पायलट की पदयात्रा के बाद और तेज होने वाली है।